क्या होलोकॉस्ट में मारे गए 60 लाख यहूदियों में से 50 लाख की पहचान हुई?
सारांश
Key Takeaways
- होलोकॉस्ट में मारे गए 60 लाख यहूदियों में से 50 लाख की पहचान हो चुकी है।
- एआई तकनीक से और नामों की पहचान संभव हो सकती है।
- याद वाशेम का मिशन पीड़ितों की याद को जीवित रखना है।
- पेजेस ऑफ टेस्टिमोनी प्रोजेक्ट से 28 लाख नाम इकट्ठा किए गए हैं।
- नरसंहार के जीवित पीड़ितों की संख्या घट रही है।
यरूशलम, 3 नवंबर (आईएएनएस)। इजरायली शोधकर्ताओं ने सोमवार को जानकारी दी है कि होलोकॉस्ट में मारे गए 60 लाख से अधिक यहूदियों में से 50 लाख की पहचान अब हो चुकी है। उन्होंने आशा व्यक्त की है कि शेष लोगों की पहचान भविष्य में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की सहायता से संभव हो सकती है।
इजरायल के वर्ल्ड होलोकॉस्ट रिमेंबरेंस सेंटर, 'याद वाशेम' ने इस संबंध में घोषणा की। उन्होंने बताया कि उन्होंने होलोकॉस्ट में मारे गए 50 लाख यहूदियों के नाम खोज निकाले हैं, जिसे एक ऐतिहासिक उपलब्धि माना जा रहा है। सेंटर के अनुसार, यह उन यहूदियों की पहचान वापस लाने के उनके दशकों पुराने मिशन की एक बड़ी सफलता है, जो नाजियों के अत्याचार और नरसंहार का शिकार हुए।
याद वाशेम ने कहा कि यह खबर तब आई है जब नरसंहार के जीवित गवाहों की संख्या कम होती जा रही है। इस वर्ष की शुरुआत में क्लेम्स कॉन्फ्रेंस ने बताया कि आज जीवित लगभग 2 लाख पीड़ितों में से आधे आने वाले सात वर्षों में शायद हमारे साथ नहीं रहेंगे।
संगठन ने यह भी कहा कि अन्य 10 लाख यहूदियों के नाम शायद कभी नहीं मिल पाएंगे, हालांकि एआई और मशीन लर्निंग जैसी नई तकनीक से ढाई लाख और लोगों के नाम का पता लगाया जा सकता है।
याद वाशेम के चेयरमैन डैनी डायन ने कहा, "पचास लाख नामों तक पहुंचना एक मील का पत्थर है और हमारी अधूरी जिम्मेदारी की याद भी दिलाता है। हर नाम के पीछे एक ऐसी जिंदगी है जो मायने रखती थी—एक बच्चा जो कभी बड़ा नहीं हुआ, एक माता-पिता जो कभी घर नहीं लौटे, एक आवाज जिसे हमेशा के लिए खामोश कर दिया गया। यह हमारा नैतिक कर्तव्य है कि हर पीड़ित को याद रखा जाए ताकि कोई भी गुमनामी के अंधेरे में पीछे न छूट जाए।"
याद वाशेम ने कहा कि नामों को खोजने के लिए उसका ग्लोबल कैंपेन दुनिया भर में यहूदी समुदायों, अभिलेखागार, वंशावली सोसाइटियों और अनुसंधान संस्थानों के साथ साझेदारी पर निर्भर रहा है। इस कोशिश का एक मुख्य हिस्सा इसका 'पेजेस ऑफ टेस्टिमोनी' प्रोजेक्ट है—ये एक मेमोरियल फॉर्म हैं जिन्हें बचे हुए लोग, रिश्तेदार और दोस्त भरते हैं। आज तक, इन पन्नों के जरिए 28 लाख नाम इकट्ठा किए गए हैं, जो 20 से ज्यादा भाषाओं में लिखे गए हैं। इस कलेक्शन को 2013 में यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में मान्यता मिली थी।