क्या इंडिगो की फ्लाइट कैंसिल होने पर कांग्रेस नेताओं ने सरकार को घेरा?
सारांश
Key Takeaways
- इंडिगो की फ्लाइट कैंसिलेशन पर कांग्रेस का तीखा हमला।
- सरकार की भूमिका पर सवाल उठाए गए।
- संसद में चर्चा की मांग।
- यात्रियों को हुई कठिनाइयों पर ध्यान।
- एविएशन सेक्टर की स्थिरता पर चिंता।
नई दिल्ली, 9 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। इंडिगो की फ्लाइट कैंसिल होने से यात्रियों को हुई समस्याओं को लेकर कांग्रेस नेताओं ने सरकार पर तीखा प्रहार किया है। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई का कहना है कि इस मामले पर संसद में चर्चा होना आवश्यक है, यह कोई साधारण मामला नहीं है।
कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने कहा कि इस मुद्दे में कुछ ऐसा है जिसे छिपाया जा रहा है। इस प्रकार की घटनाओं की जांच होनी चाहिए। मंत्री कहते हैं कि हम कदम उठा रहे हैं, लेकिन जनता को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि कुछ अंदर की दिक्कतें हैं, जिसके कारण यह समस्या उत्पन्न हुई है। इसकी जांच होनी चाहिए और डीजीसीए की भूमिका की भी समीक्षा की जानी चाहिए। सरकार की अच्छी नीतियाँ होनी चाहिए और इसे नियंत्रित करना भी आवश्यक है।
कांग्रेस सांसद रजनी पाटिल ने सवाल उठाया कि क्या इंडिगो की गलती ही अकेली है? क्या सरकार की ओर से कोई गड़बड़ी नहीं हुई होगी? सरकार द्वारा लागू किए गए रेगुलेशन में क्या कोई कमी थी? अचानक सब कुछ कैसे ठप हो सकता है? ऐसा सुनने में आया है कि सरकार ने रेगुलेशन वापस ले लिया है।
उन्होंने कहा कि एविएशन सेक्टर में रिसर्च करके कमर्शियल एयरलाइन को सफल बनाने की दिशा में कदम उठाने की ज़रूरत है। अब तक कई एयरलाइन्स बंद हो चुकी हैं क्योंकि वे इसे बनाए नहीं रख पाईं। एक ओर आप किराए कम रखने की बात करते हैं और दूसरी ओर एयरलाइन टर्बाइन फ्यूल की कीमतें दुनिया में सबसे अधिक होती हैं। आपको इस पर ध्यान देना होगा।
गौरव गोगोई ने कहा कि इंडिगो की स्थिति पर पिछले दो दिनों में राज्यसभा और लोकसभा में सरकार का बयान आया है। इसकी पूरी जिम्मेदारी एक निजी कंपनी के मालिक की है। ऐसा लगता है कि सरकार और डीजीसीए की कोई जिम्मेदारी नहीं है।
उन्होंने कहा कि हजारों यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ा है। इस बीच, पायलटों से संबंधित जो कानून लाया गया था, उसे भी बदल दिया गया। न पायलट को राहत, न ग्राहकों को, और न ही सरकार की ओर से कोई जिम्मेदारी, केवल कंपनी के मालिक को एक नोटिस दे दिया गया। सरकार समझती है कि उनकी जिम्मेदारी बस इतनी ही है।
उन्होंने कहा कि जब लोकसभा में मंत्री ने बयान दिया, तो पूरा विपक्ष इससे असहमत था और इसलिए हमने वॉकआउट किया। हमारी मांग स्पष्ट है कि सरकार केवल मंत्री के बयान से नहीं भाग सकती, इस पर चर्चा होनी चाहिए। यह मामला केवल एक हफ्ते में फ्लाइट्स के कैंसिल होने का नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक बड़ी कहानी है।
गौरव गोगोई ने कहा कि सदन में एविएशन इंडस्ट्री पर चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने सरकार पर हमला करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री कहते हैं कि हवाई चप्पल पहनने वाले भी हवाई जहाज से उड़ेंगे, लेकिन ऐसा कहाँ हो रहा है? न चप्पल पहनने वाला उड़ पाया और न ही शूज पहनने वाला। यह स्थिति इस पर चर्चा की मांग करती है।