क्या जातिगत जनगणना न्यायपूर्ण शासन और संसाधनों के उचित वितरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है? : मौलाना महमूद मदनी

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क्या जातिगत जनगणना न्यायपूर्ण शासन और संसाधनों के उचित वितरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है? : मौलाना महमूद मदनी

सारांश

जातिगत जनगणना को लेकर मौलाना महमूद मदनी ने महत्वपूर्ण बातें साझा की हैं। उनके अनुसार, यह प्रक्रिया न केवल सामाजिक और राजनीतिक आवश्यकताओं को पूरा करती है, बल्कि मुसलमानों के लिए एक मौका है कि वे अपनी पहचान को सही तरीके से दर्ज करा सकें।

Key Takeaways

  • जातिगत जनगणना सामाजिक और राजनीतिक आवश्यकताओं को पूरा करती है।
  • यह प्रक्रिया मुसलमानों के लिए सही पहचान दर्ज कराने का अवसर है।
  • ज्यादातर पिछड़े वर्गों को न्याय दिलाने का प्रयास है।
  • सरकार को इसमें पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करनी चाहिए।
  • सामाजिक विकास योजनाओं के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है।

नई दिल्ली, १७ जून (राष्ट्र प्रेस)। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने मंगलवार को जातिगत आधारित जनगणना को देश की आवश्यकता बताया। इसके साथ ही उन्होंने देश के मुसलमान वर्गों से इस प्रक्रिया में सहभागिता करने की अपील की।

उन्होंने एक बयान में कहा कि जाति आधारित जनगणना का जोरदार समर्थन करते हुए आशा व्यक्त की है कि यह प्रक्रिया न्यायपूर्ण शासन, सही नीति निर्माण और संसाधनों के समान वितरण को सुनिश्चित करेगी।

मौलाना मदनी ने कहा, "जाति आधारित जनगणना अब केवल एक सरकारी औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक और राजनीतिक आवश्यकता बन चुकी है। इससे मिलने वाले आंकड़े आरक्षण नीति, सामाजिक विकास योजनाओं और कल्याणकारी लाभों के निष्पक्ष वितरण पर सीधा प्रभाव डालेंगे।"

उन्होंने आगे कहा, "मुसलमानों को इस जनगणना प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए। हर मुस्लिम परिवार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी प्रचलित जाति की पहचान सही तरीके से दर्ज हो।"

जमीयत उलेमा-ए-हिंद की स्थानीय इकाइयों, सभी मुस्लिम संगठनों, धार्मिक संस्थाओं और समुदाय के नेताओं से अनुरोध किया गया है कि वे आम लोगों का मार्गदर्शन करें और उन्हें इस प्रक्रिया के दीर्घकालिक प्रभावों से अवगत कराएं।

मौलाना मदनी ने यह भी स्पष्ट किया कि यह कदम इस्लामी बराबरी के सिद्धांतों के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह एक व्यावहारिक आवश्यकता है। उन्होंने कहा, "इस्लाम एक समानता-आधारित समाज का समर्थन करता है, लेकिन भारत में मुसलमानों का एक बड़ा हिस्सा सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ा रह गया है। अब समय आ गया है कि हम इसे एक नैतिक और संवैधानिक कर्तव्य समझकर, सबसे अधिक वंचित तबकों, विशेषकर पिछड़े और कमजोर मुसलमानों को न्याय दिलाने का प्रयास करें।"

उन्होंने कहा, "हम भारत सरकार से मांग करते हैं कि जाति आधारित जनगणना में पारदर्शिता, निष्पक्षता और गंभीरता से कार्य किया जाए और किसी भी समुदाय के साथ भेदभाव न किया जाए।"

Point of View

जातिगत जनगणना को एक महत्वपूर्ण कदम माना जा सकता है। यह न केवल सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए अवसर प्रदान करता है, बल्कि यह सरकार को भी सही नीति निर्माण में मदद करेगा। हमें इस प्रक्रिया में बिना किसी भेदभाव के शामिल होना चाहिए।
NationPress
19/06/2025

Frequently Asked Questions

जातिगत जनगणना क्यों महत्वपूर्ण है?
जातिगत जनगणना समाज में समानता और न्याय के लिए आवश्यक है। यह संसाधनों के उचित वितरण और नीति निर्माण में मदद करता है।
मुसलमानों को इसमें भाग क्यों लेना चाहिए?
मुसलमानों को अपनी पहचान सही तरीके से दर्ज कराने के लिए सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए, जिससे उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके।
क्या यह इस्लाम के सिद्धांतों के खिलाफ है?
नहीं, यह इस्लामी बराबरी के सिद्धांतों के खिलाफ नहीं है। यह एक व्यावहारिक आवश्यकता है।