क्या जमशेदपुर में 'डूरंड कप ट्रॉफी' का अनावरण झारखंड के लिए गर्व का क्षण है?

सारांश
Key Takeaways
- डूरंड कप फुटबॉल टूर्नामेंट का अनावरण झारखंड के लिए गर्व का क्षण है।
- यह 134वां संस्करण है जिसमें 24 टीमें भाग ले रही हैं।
- राज्यपाल ने इसे खेल संस्कृति की उन्नति का प्रतीक बताया।
- भारतीय फुटबॉल महासंघ और सेना का सहयोग जारी है।
- खेलों के प्रति केंद्र सरकार की नई नीतियां लागू हो रही हैं।
जमशेदपुर, 7 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। 134वें डूरंड कप फुटबॉल टूर्नामेंट की शुरुआत 23 जुलाई से होने जा रही है, जिसकी ट्रॉफी का अनावरण सोमवार को एक्सएलआरआई ऑडिटोरियम में किया गया। इस विशेष अवसर पर राज्यपाल संतोष गंगवार ने डूरंड कप जैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर के आयोजन को झारखंड के लिए गर्व का क्षण बताया।
इस फुटबॉल टूर्नामेंट में 24 टीमें भाग ले रही हैं। जमशेदपुर के जेआरडी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में छह मुकाबले आयोजित किए जाएंगे।
सोमवार को एक्सएलआरआई ऑडिटोरियम में ट्रॉफी टूर कार्यक्रम का उद्घाटन राज्यपाल संतोष गंगवार और शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने संयुक्त रूप से किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में फुटबॉल फैंस उपस्थित थे।
राज्यपाल संतोष गंगवार ने कहा, "इस अवसर पर न केवल जमशेदपुर, बल्कि पूरा झारखंड गौरवान्वित महसूस कर रहा है। एशिया के सबसे प्रतिष्ठित फुटबॉल टूर्नामेंट में शामिल डूरंड कप की चमचमाती ट्रॉफी का अनावरण इस बात का प्रतीक है कि झारखंड की खेल संस्कृति निरंतर नई ऊचाइयों को छू रही है।"
उन्होंने आगे कहा, "डूरंड कप केवल एक टूर्नामेंट नहीं है, बल्कि भारत की खेल विरासत का गौरवशाली प्रतीक है। वर्ष 1888 में इसकी शुरुआत हुई थी। आज भी भारतीय सेना और भारतीय फुटबॉल महासंघ के संयुक्त प्रयासों से इसे उतनी ही गरिमा के साथ आयोजित किया जा रहा है। यह राज्य के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है। इस टूर्नामेंट में हिस्सा लेने वाली टीमें भारत के आत्मविश्वास और युवा शक्ति का परिचय देती हैं।"
राज्यपाल ने कहा, "फुटबॉल केवल एक खेल नहीं है, यह एक भावना है। हमारे खिलाड़ी अपनी मेहनत से गली-कूचों से निकलकर अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने का सपना देखते हैं। यह गरीब-अमीर सभी को समान अवसर देने वाला खेल है। पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत में खेलों को लेकर जो क्रांतिकारी पहल हुई, वह अतुलनीय है।"
उन्होंने कहा, "केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय खेल नीति को मंजूरी दी है, जिसका उद्देश्य खेल की अवसंरचना को सुदृढ़ बनाना है। खिलाड़ियों को आधुनिक प्रशिक्षण और सुविधाएं प्रदान करना है। इस नीति के अंतर्गत भारत ने 2036 ओलंपिक के लिए दावेदारी पेश करने की दिशा में कदम उठाया है।"