क्या यह हेलमेट जीवनरक्षक बनने जा रहा है, जो एक्सीडेंट होने पर तुरंत घायलों के परिजनों को सूचित करेगा?

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क्या यह हेलमेट जीवनरक्षक बनने जा रहा है, जो एक्सीडेंट होने पर तुरंत घायलों के परिजनों को सूचित करेगा?

सारांश

वाराणसी के छात्रों ने एक हाई-टेक हेलमेट विकसित किया है, जो सड़क दुर्घटनाओं में तुरंत मदद के लिए घायलों के परिजनों को सूचित करेगा। यह हेलमेट जीवनरक्षक साबित हो सकता है। जानिए इसके अनोखे फीचर्स।

Key Takeaways

  • हेलमेट घायलों के परिजनों को तुरंत सूचित करता है।
  • लाइव लोकेशन भेजने की क्षमता।
  • सभी स्वदेशी तकनीक का प्रयोग।
  • एक्सीडेंट के समय घायलों की जान बचाने का प्रयास।
  • वाहन चालकों के लिए जीवनरक्षक

वाराणसी, 10 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्कूली छात्रों ने दोपहिया वाहन चालकों के लिए एक ऐसा हाई-टेक हेलमेट विकसित किया है, जो एक्सीडेंट होने पर तुरंत चालक के परिजनों को सूचित करने में सक्षम होगा। इस हेलमेट में लगे सेंसर घायलों के परिजनों को घटना की जानकारी मैसेज या कॉल के जरिए तुरंत देंगे। इसके साथ ही, यह हेलमेट घटनास्थल की लाइव लोकेशन भी प्रदान कर सकता है। छात्रों ने इस हेलमेट का नाम ‘गरुड़ कवच’ रखा है।

राष्ट्र प्रेस से बातचीत में, छात्रों ने सड़क दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या पर चिंता जताई और कहा कि कई बार एक्सीडेंट के बाद घायलों को समय पर मदद नहीं मिल पाती है, जिससे उन्हें अपनी जान गंवानी पड़ती है। ऐसे में यह हेलमेट किसी भी वाहन चालक के लिए जीवनरक्षक साबित हो सकता है, क्योंकि यह चालक के परिजनों को उसकी स्थिति के बारे में जानकारी देगा।

एकेडमिक डायरेक्टर डॉ. सुजय चक्रवर्ती ने इस हेलमेट की विशेषताओं के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि अक्सर एक्सीडेंट के बाद स्थिति का पता नहीं चल पाता है। लेकिन, इस हेलमेट में एक सेंसर है, जो झटका लगने पर तुरंत हेलमेट में दर्ज नंबर पर उसकी लोकेशन की जानकारी भेजता है। इससे एक्सीडेंट के समय घायलों की जान बचाने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

डॉ. चक्रवर्ती ने ‘गरुड़ कवच’ नाम रखने के पीछे की वजह बताते हुए कहा कि आजकल कई चीजों का नाम पौराणिक ग्रंथों पर रखा जाता है। हाल ही में जब हमारी सेना ने पाकिस्तानी आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था, तो उसका नाम भी इसी तरह रखा गया था। इसी कारण से इस हेलमेट का नाम गरुड़ कवच रखा गया है। इस हेलमेट को बनाने में सभी स्वदेशी उपकरणों का उपयोग किया गया है।

छात्रा रियांशी तिवारी ने भी इस हेलमेट की विशेषताओं के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि हमने एक ऑटोमेटिक हेलमेट तैयार किया है। इसमें सेंसर लगा है, और जब भी एक्सीडेंट होगा, तो यह घायल के परिजनों, पुलिस और अस्पताल को अपने आप सूचित कर देगा।

राजीव प्रताप आनंद ने कहा कि आजकल सड़क दुर्घटनाओं में लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। इसे ध्यान में रखते हुए, हमने यह हेलमेट बनाया है, जो दोपहिया वाहन चालकों के लिए अत्यंत उपयोगी साबित होगा।

Point of View

बल्कि परिवारों को भी जानकारी देने में सहायक साबित होगा।
NationPress
10/10/2025

Frequently Asked Questions

यह हेलमेट कैसे काम करता है?
यह हेलमेट सेंसर के जरिए एक्सीडेंट होने पर घायल के परिजनों को सूचित करता है।
क्या यह हेलमेट सभी प्रकार के दोपहिया वाहनों के लिए उपयुक्त है?
हाँ, यह हेलमेट सभी दोपहिया वाहन चालकों के लिए उपयुक्त है।
क्या हेलमेट का निर्माण स्वदेशी तकनीक से किया गया है?
जी हाँ, हेलमेट का निर्माण सभी स्वदेशी उपकरणों का उपयोग करके किया गया है।