क्या झारखंड हाईकोर्ट खाद्य पदार्थों में मिलावट पर सख्त कार्रवाई करेगा?

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क्या झारखंड हाईकोर्ट खाद्य पदार्थों में मिलावट पर सख्त कार्रवाई करेगा?

सारांश

झारखंड हाईकोर्ट ने खाद्य पदार्थों में मिलावट के मामलों पर सख्त कार्रवाई का आदेश दिया है। अदालत ने फूड सेफ्टी ऑफिसर की नियुक्तियों को शीघ्र पूरा करने के निर्देश दिए। जानें इस महत्वपूर्ण सुनवाई के बारे में और कैसे यह जनता के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।

Key Takeaways

  • राज्य में खाद्य पदार्थों में मिलावट के मामलों पर सख्त कार्रवाई।
  • फूड सेफ्टी ऑफिसर की नियुक्ति प्रक्रिया में तेजी।
  • जनहित याचिका का निपटारा करते हुए निर्देश।
  • अदालत की निगरानी में खाद्य सुरक्षा व्यवस्था।
  • स्वास्थ्य के प्रति गंभीर लापरवाही की रोकथाम।

रांची, 16 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य में दूध और अन्य खाद्य पदार्थों में मिलावट के मामलों पर स्वतः संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका की सुनवाई की है। अदालत ने राज्य सरकार को फूड सेफ्टी ऑफिसर सहित संबंधित पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया को शीघ्र समाप्त करने का निर्देश दिया है। यह आदेश कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई के दौरान दिया।

चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई के दौरान जेपीएससी (झारखंड पब्लिक सर्विस कमीशन) के सचिव को तलब किया और पूछा कि फूड सेफ्टी ऑफिसर्स के रिक्त पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया इतनी लंबे समय से क्यों लंबित है?

सचिव ने भर्ती प्रक्रिया की प्रगति रिपोर्ट पेश की। राज्य के महाधिवक्ता राजीव रंजन ने अदालत को बताया कि फूड सेफ्टी ऑफिसर, फूड एनालिस्ट और लेब टेक्नीशियन समेत अन्य रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए अधिकांश औपचारिकताएं पूरी हो चुकी हैं और जल्द ही परिणाम प्रकाशित किए जाएंगे।

हाईकोर्ट ने महाधिवक्ता का पक्ष सुनने के बाद जनहित याचिका को निष्पादित कर दिया, लेकिन सरकार को स्पष्ट निर्देश दिया कि लंबित नियुक्तियों को अब और टाला नहीं जाना चाहिए। अदालत ने कहा कि खाद्य सुरक्षा से जुड़े पदों को वर्षों तक रिक्त रखना जनता के स्वास्थ्य के लिए गंभीर लापरवाही है।

पिछली सुनवाई में, कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए पूछा कि वर्ष 2023 में जेपीएससी द्वारा परीक्षा आयोजित किए जाने के बावजूद अब तक परिणाम क्यों नहीं प्रकाशित किया गया? अदालत ने इस पर असंतोष व्यक्त किया और जेपीएससी सचिव को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया। इस मामले में एमीकस क्यूरी पीयूष पोद्दार और जेपीएससी की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरवाल ने बहस की।

गौरतलब है कि मीडिया में दूध में मिलावट की रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद झारखंड हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए इसे जनहित याचिका में परिवर्तित किया था। तब से यह मामला खाद्य सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के एक महत्वपूर्ण जनहित के रूप में अदालत की निगरानी में है।

Point of View

NationPress
16/10/2025

Frequently Asked Questions

झारखंड हाईकोर्ट ने किस मामले पर आदेश दिया?
झारखंड हाईकोर्ट ने दूध और अन्य खाद्य पदार्थों में मिलावट के मामलों पर आदेश दिया है।
फूड सेफ्टी ऑफिसर्स की नियुक्ति कब होगी?
अदालत ने निर्देश दिया है कि फूड सेफ्टी ऑफिसर्स की नियुक्ति प्रक्रिया शीघ्र पूरी की जाए।
क्या खाद्य सुरक्षा से जुड़े पदों को खाली रखा जा सकता है?
नहीं, अदालत ने कहा कि खाद्य सुरक्षा से जुड़े पदों को वर्षों तक रिक्त रखना गंभीर लापरवाही है।