क्या झारखंड हाईकोर्ट ने जेल में कैदी के एचआईवी संक्रमण को मानवाधिकार उल्लंघन माना?

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क्या झारखंड हाईकोर्ट ने जेल में कैदी के एचआईवी संक्रमण को मानवाधिकार उल्लंघन माना?

सारांश

झारखंड हाईकोर्ट ने एक कैदी के एचआईवी संक्रमण की घटना को गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन के रूप में देखा। अदालत ने जेल प्रशासन की लापरवाही पर सवाल उठाए और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी के लिए चिंता जताई। कैदियों के बुनियादी अधिकारों पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

Key Takeaways

  • जेल में कैदियों की स्वास्थ्य सेवाएं अपर्याप्त हैं।
  • एचआईवी संक्रमण मानवाधिकार का उल्लंघन है।
  • जेल प्रशासन की लापरवाही पर सवाल उठाए गए हैं।
  • कैदियों को बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएं मिलना चाहिए।
  • इस मामले में जिम्मेदार अधिकारियों को जवाब देना होगा।

रांची, 15 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड हाईकोर्ट में एक आपराधिक अपील की सुनवाई के दौरान एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। अदालत को बताया गया कि एक कैदी न्यायिक हिरासत में रहते हुए एचआईवी से संक्रमित हो गया। इस महत्वपूर्ण खुलासे के बाद सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद और न्यायमूर्ति संजय प्रसाद की खंडपीठ ने जेल प्रशासन पर कड़ी टिप्पणी की, यह कहते हुए कि यह केवल चिकित्सीय त्रासदी नहीं बल्कि मानवाधिकार का गंभीर उल्लंघन है।

अदालत ने कहा कि हिरासत के दौरान कैदी का एचआईवी संक्रमित होना जेल प्रणाली की गंभीर खामियों को उजागर करता है। कोर्ट ने इसे प्रशासन की सीधी लापरवाही करार दिया।

जानकारी के अनुसार, यह कैदी 2 जून 2023 से जेल में बंद है। पहले उसे धनबाद जिला जेल में रखा गया था, लेकिन बाद में 10 अगस्त 2024 को उसे हजारीबाग केंद्रीय कारा भेजा गया। मेडिकल जांच में 24 जनवरी 2025 को उसकी एचआईवी रिपोर्ट पॉजिटिव आई। अदालत ने इस बात पर चिंता जताई कि झारखंड की जेलों में कैदियों की संख्या क्षमता से ज्यादा है। स्वास्थ्य सेवाएं बहुत कमजोर हैं और नियमित मेडिकल जांच नहीं हो पाती।

कोर्ट ने कहा कि कैदियों को न्यूनतम स्वास्थ्य सुविधाएं मिलना उनका बुनियादी अधिकार है, लेकिन मौजूदा स्थिति इस अधिकार का हनन करती है। इसलिए खंडपीठ ने धनबाद जेल प्रशासन को आदेश दिया है कि 2 जून 2023 से 24 अगस्त 2024 तक सभी कैदियों की मेडिकल जांच रिपोर्ट अदालत में पेश की जाए।

कोर्ट ने यह भी कहा है कि इस मामले में जिम्मेदार अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से जवाब देना होगा। अगली सुनवाई 25 सितंबर 2025 को होगी। इस दौरान स्वास्थ्य विभाग के सचिव, गृह और कारा विभाग के सचिव, धनबाद और हजारीबाग जेल के जेल अधीक्षक और मेडिकल अधिकारियों को भी व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने का आदेश दिया गया है।

Point of View

बल्कि यह हमारी न्यायिक और जेल प्रणाली की खामियों को भी उजागर करता है। हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि कैदियों को उनके बुनियादी मानवाधिकार मिले। सरकार को इस मामले में कार्रवाई करनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।
NationPress
15/09/2025

Frequently Asked Questions

झारखंड हाईकोर्ट ने एचआईवी संक्रमण पर क्या टिप्पणी की?
झारखंड हाईकोर्ट ने इसे मानवाधिकार का गंभीर उल्लंघन बताया।
कैदी कब से जेल में था?
यह कैदी 2 जून 2023 से जेल में बंद है।
अगली सुनवाई कब होगी?
अगली सुनवाई 25 सितंबर 2025 को होगी।