क्या झारखंड हाईकोर्ट ने अधिवक्ता महेश तिवारी के खिलाफ आपराधिक अवमानना का केस दर्ज किया?

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क्या झारखंड हाईकोर्ट ने अधिवक्ता महेश तिवारी के खिलाफ आपराधिक अवमानना का केस दर्ज किया?

सारांश

झारखंड हाईकोर्ट ने अधिवक्ता महेश तिवारी के खिलाफ न्यायपालिका पर अपमानजनक टिप्पणी के लिए आपराधिक अवमानना का मामला दर्ज किया है। सुनवाई 11 नवंबर को होगी। यह मामला सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है।

Key Takeaways

  • झारखंड हाईकोर्ट ने अधिवक्ता महेश तिवारी के खिलाफ आपराधिक अवमानना का मामला दर्ज किया।
  • अगली सुनवाई 11 नवंबर को होगी।
  • महेश तिवारी को तीन हफ्ते में जवाब देना है।
  • यह मामला सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है।
  • न्यायपालिका की गरिमा की रक्षा करना आवश्यक है।

रांची, 17 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ ने न्यायपालिका पर कथित अपमानजनक टिप्पणी करने के मामले में अधिवक्ता महेश तिवारी के खिलाफ स्वतः संज्ञान लेते हुए आपराधिक अवमानना का मामला दर्ज किया है। इस मामले की अगली सुनवाई 11 नवंबर को होगी। इसी के साथ, अधिवक्ता महेश तिवारी को नोटिस जारी किया गया है और तीन हफ्ते में जवाब मांगा गया है।

गुरुवार को, घरेलू बिजली कनेक्शन और बिल से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान, जस्टिस राजेश कुमार की बेंच में महेश तिवारी और जस्टिस के बीच तीखी बहस हुई। इस सुनवाई को यूट्यूब पर लाइव स्ट्रीम किया गया था, और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।

वीडियो में महेश तिवारी कहते हुए दिखाई दिए, "मैं अपने तरीके से बहस करूंगा, न कि आपके तरीके से। कृपया ध्यान दें। किसी वकील को अपमानित करने की कोशिश मत कीजिए। देश न्यायपालिका को लेकर जल रहा है। मैं पिछले 40 साल से कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहा हूं।"

यह बहस तब हुई जब याचिकाकर्ता पुष्पा कुमारी की ओर से दलीलें पेश करते हुए अधिवक्ता महेश तिवारी ने अदालत को बताया कि उनसे बिल और जुर्माने के तौर पर 1.30 लाख रुपए से अधिक राशि मांगी जा रही है। उन्होंने अनुरोध किया कि दीपावली के मद्देनजर केवल 10-15 हजार रुपए जमा करवाकर कनेक्शन बहाल किया जाए।

जस्टिस कुमार ने कहा, "हम यहां दया के आधार पर न्याय करने नहीं बैठे हैं। यह कोर्ट ऑफ लॉ है। कोर्ट ऑफ जस्टिस नहीं।" संक्षिप्त सुनवाई के बाद अदालत ने आदेश दिया कि कनेक्शन बहाल किया जाए, बशर्ते 50,000 रुपए जमा किए जाएं।

अधिवक्ता महेश तिवारी ने कहा कि अधिकतम 15,000 रुपए ही उचित थे, क्योंकि मासिक बिल 200 रुपए से कम था।

जस्टिस ने प्रतिक्रिया में कहा, "तिवारी जी, आप खड़े होकर कहते हैं कि याचिकाकर्ता विधवा है, गरीब है। ये कोई प्लीडिंग नहीं है। मैं खाली खोपड़ी के साथ नहीं बैठा हूं। खोपड़ी में कुछ है।"

सुनवाई समाप्त होने के बाद अधिवक्ता ने फिर जस्टिस को लक्षित करते हुए टिप्पणी की, जिस पर अन्य अधिवक्ताओं ने बीच-बचाव किया।

इस बीच, लाइव स्ट्रीमिंग का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और यह विषय चर्चा का केंद्र बन गया।

शुक्रवार को चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान, जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद, जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय, जस्टिस आनंद सेन और जस्टिस राजेश शंकर की पूर्ण पीठ ने स्वतः संज्ञान लेते हुए इस घटना को आपराधिक अवमानना मानते हुए इसे 'कोर्ट ऑन इट्स ओन मोशन बनाम महेश तिवारी' के रूप में सूचीबद्ध किया।

Point of View

लेकिन यह ध्यान रखना भी जरूरी है कि बहस के दौरान शब्दों का चयन कैसे किया जाता है।
NationPress
20/10/2025

Frequently Asked Questions

झारखंड हाईकोर्ट ने महेश तिवारी के खिलाफ क्यों मामला दर्ज किया?
उन्होंने न्यायपालिका के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी, जिसके चलते हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया।
इस मामले की अगली सुनवाई कब होगी?
इस मामले की अगली सुनवाई 11 नवंबर को होगी।
महेश तिवारी को कब तक जवाब देना है?
उन्हें तीन हफ्ते में जवाब देना है।
क्या यह मामला सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना?
जी हां, यह मामला लाइव स्ट्रीमिंग के कारण सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया।
अधिवक्ता महेश तिवारी ने कितने पैसे जमा करने का अनुरोध किया था?
उन्होंने 10-15 हजार रुपए जमा करने का अनुरोध किया था।