क्या झारखंड में निजी कॉलेजों की मनमानी फीस पर लगेगी लगाम? राज्यपाल ने बिल को दी मंजूरी
सारांश
Key Takeaways
- झारखंड में कॉलेजों की फीस पर नियंत्रण
- पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए समिति का गठन
- छात्रों के हितों की रक्षा
- अन्य राज्यों के लिए मिसाल
- शिक्षा के नाम पर लूट पर रोक
रांची, 11 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड में इंजीनियरिंग, मेडिकल और मैनेजमेंट जैसे कोर्स की पढ़ाई अब थोड़ी सस्ती और पारदर्शी हो सकती है। झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने ऐसे पाठ्यक्रमों की फीस नियंत्रित करने के लिए विधानसभा से पारित 'झारखंड व्यावसायिक शिक्षण संस्थान (शुल्क विनियमन) विधेयक, 2025' को मंगलवार को मंजूरी दे दी है। अब गजट नोटिफिकेशन के बाद यह कानून लागू हो जाएगा।
इस बिल को विधानसभा के पूरक मानसून सत्र में 25 अगस्त को ध्वनिमत से पारित किया गया था। इसके लागू होने के बाद राज्य के निजी व्यावसायिक कॉलेज अपनी मनमर्जी से फीस नहीं बढ़ा सकेंगे। अब फीस तय करने का जिम्मा एक 'शुल्क विनियमन समिति' के हाथों में होगा, जो हर कोर्स के लिए तय करेगी कि कौन-सा कॉलेज कितनी फीस ले सकता है।
सदन में बिल पेश करते हुए उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री सुदिव्य कुमार ने कहा था कि यह कदम छात्रों और अभिभावकों दोनों के हित में है। अब फीस तय करने में पारदर्शिता होगी और कोई भी संस्थान मनमानी नहीं कर सकेगा।
शुल्क निर्धारित करने वाली समिति में झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अनुशंसा पर एक अध्यक्ष नियुक्त होंगे। साथ में किसी विश्वविद्यालय के कुलपति, एक चार्टर्ड अकाउंटेंट और अलग-अलग कोर्स के विशेषज्ञ सदस्य होंगे। फीस तय करने से पहले समिति संस्थानों से उनके खर्च और सुविधाओं का ब्योरा मांगेगी और उसके बाद ही अंतिम फैसला लेगी।
सुप्रीम कोर्ट पहले ही निर्देश दे चुका है कि राज्यों को निजी व्यावसायिक शिक्षण संस्थानों की फीस नियंत्रण के लिए कानून बनाना चाहिए। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में यह व्यवस्था पहले से है। अब झारखंड में भी यह कानून धरातल पर उतरने को तैयार है।
राज्य सरकार का दावा है कि इससे 'शिक्षा के नाम पर लूट' रुकेगी और छात्रों को राहत मिलेगी।