क्या झारखंड के पलामू टाइगर रिजर्व में वन्य जीवों का शिकार करने वाले गिरोह का पर्दाफाश हुआ?

सारांश
Key Takeaways
- गिरोह के नौ सदस्य गिरफ्तार हुए हैं।
- 13 आरोपी अब भी फरार हैं।
- सुरक्षा व्यवस्था को कड़ा किया गया है।
- वन विभाग की विशेष टीम ने कार्रवाई की।
- गिरोह का शिकार करने का इतिहास है।
लातेहार, 20 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड के वन विभाग ने लातेहार-पलामू जिले के बेतला-पलामू टाइगर रिजर्व (पीटीआर) में वन्य जीवों का शिकार कर रहे गिरोह का पर्दाफाश किया है।
विशेष टीम ने विभिन्न स्थानों पर छापेमारी करते हुए गिरोह के नौ सदस्यों को गिरफ्तार किया है, जबकि 13 आरोपी भागने में सफल रहे। यह जानकारी पीटीआर के उप निदेशक प्रजेश जैन ने एक प्रेस वार्ता में दी।
गिरफ्तार आरोपियों के पास से आठ भरठुआ बंदूकें, एक फरसा, 400 ग्राम बारूद, 14 ग्राम गंधक, एक टाइगर ट्रैप, 15-15 फीट के दो बड़े फंदे और जंगली जानवरों की हड्डियां बरामद की गई हैं।
वन विभाग की कार्रवाई की शुरुआत 19 अगस्त को हुई थी, जब नावागढ़ निवासी सरफुदीन मियां को वन क्षेत्र में बारूद और गंधक बेचते गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में उसने बताया कि यह सामग्री वह शिकारियों को उपलब्ध कराता है।
सरफुदीन ने स्वीकार किया कि उसने गारू थाना क्षेत्र के कुई ग्राम निवासी तपेश्वर सिंह को भारी मात्रा में बारूद उपलब्ध कराई है। इसके बाद बुधवारतीन बजे लातेहार के कुई गांव में छापेमारी की गई, जहां से तपेश्वर को एक भरठुआ बंदूक के साथ गिरफ्तार किया गया।
पूछताछ में तपेश्वर ने कबूल किया कि वह वर्षों से गिरोह के साथ मिलकर पीटीआर के जंगलों में शिकार करता रहा है। उसने यह भी स्वीकार किया कि करीब दस वर्ष पहले गारू के चंदवा चट्टान क्षेत्र में एक बाघ का शिकार किया गया था। उसकी निशानदेही पर आगे की छापामारी में कुल नौ शिकारियों को गिरफ्तार कर लातेहार जेल भेज दिया गया।
गिरफ्तार आरोपियों में सरफुदीन मियां, तपेश्वर सिंह, रामसुंदर तुरी, झमन सिंह, कईल भुइयां, अजित सिंह, हरिचरण सिंह, रमन सिंह और पारसनाथ सिंह शामिल हैं।
अधिकारियों ने बताया कि गिरोह वर्षों से सक्रिय था और संगठित नेटवर्क के जरिए शिकार करता था। गिरोह के 13 आरोपियों की तलाश जारी है। इस अभियान के लिए वन विभाग की ओर से दो टीमें बनाई गई थीं।
यह कार्रवाई पीटीआर साउथ के उपनिदेशक कुमार आशीष और पीटीआर नॉर्थ के उपनिदेशक प्रजेश जैन की निगरानी में हुई। गिरोह के पकड़े जाने के बाद जंगलों में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है।