क्या जोधपुर में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन किया?

सारांश
Key Takeaways
- जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूकता बढ़ाना आवश्यक है।
- अरावली पर्वतमाला में हरित दीवार का विकास किया जाएगा।
- स्थानीय जैव विविधता की रक्षा के लिए पौधा वितरण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
जोधपुर, 17 जून (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने मंगलवार को जोधपुर के आफरी (AFRI) में आयोजित एक महत्वपूर्ण कार्यशाला का उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम के दौरान उन्होंने जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय चुनौतियों पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने उल्लेख किया कि वायुमंडलीय असंतुलन और जलवायु परिवर्तन के प्रति जन-जागरूकता बढ़ाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जा रहा है।
भूपेंद्र यादव ने बताया कि सरकार का लक्ष्य अरावली पर्वतमाला क्षेत्र में ‘ग्रीन वॉल’ का विकास करना है, ताकि मरुस्थलीकरण को रोका जा सके और पर्यावरण की रक्षा की जा सके। उन्होंने बताया कि हाल ही में उदयपुर में इस विषय पर एक बैठक आयोजित की गई थी और मंगलवार को जोधपुर में उसी दिशा में कदम बढ़ाए गए हैं। इस अवसर पर स्थानीय ग्रामीणों को आमंत्रित किया गया, उनके साथ बैठकें की गईं और पौधा वितरण कार्यक्रम भी आयोजित किया गया।
केंद्रीय मंत्री ने स्थानीय जैव विविधता के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि हमें स्थानीय घास और पौधों की नर्सरी तैयार करनी चाहिए, ताकि प्राकृतिक पारिस्थितिकी को बनाए रखा जा सके। इस कार्यशाला में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के अलावा जोधपुर के सांसद और विधायक भी उपस्थित रहे। उन्होंने बताया कि यह कॉन्फ्रेंस दिनभर चलेगी, जिसमें रेगिस्तानी क्षेत्र के पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन पर व्यापक चर्चा की जाएगी।
इस दौरान, केंद्रीय मंत्री ने कांग्रेस पार्टी पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कर्नाटक में कांग्रेस सरकार द्वारा जातिगत जनगणना दोबारा करवाने की योजना की आलोचना की। उन्होंने कहा, "यह कांग्रेस की पिछड़े वर्गों और ओबीसी वर्ग के प्रति नीयत को दर्शाता है। इन्होंने काका कालेलकर आयोग को लागू नहीं होने दिया और मंडल कमीशन की सिफारिशों को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया। ओबीसी को आरक्षण केवल तब मिला जब कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई।"
कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा, "वो जो कहते हैं, वो करते नहीं हैं। पहले कर्नाटक सरकार द्वारा सर्वे पर 165 करोड़ रुपये खर्च किए गए, अब उसे दोबारा करवा रहे हैं। इसका जवाब कांग्रेस को देना होगा।"