क्या कटोरिया विधानसभा सीट पर भाजपा और राजद के बीच होगा कड़ा मुकाबला?
सारांश
Key Takeaways
- कटोरिया विधानसभा सीट का ऐतिहासिक महत्व है।
- यह सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है।
- भाजपा और राजद के बीच कड़ा मुकाबला होने की उम्मीद है।
- इस क्षेत्र में जातिगत समीकरण महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- कटोरिया के धार्मिक स्थल श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र हैं।
पटना, 25 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बांका जिले की कटोरिया विधानसभा सीट इस बार चुनावी दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। यह सीट बांका लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है और इसमें कटोरिया तथा बौंसी प्रखंड शामिल हैं। कटोरिया विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित किया गया है। इसे 1951 में सामान्य सीट के रूप में स्थापित किया गया था, लेकिन 2008 के परिसीमन के बाद इसे एसटी के लिए आरक्षित कर दिया गया। इससे पूर्व, कांग्रेस का इस क्षेत्र में प्रमुखता थी, लेकिन आरक्षित होने के बाद चुनावी परिदृश्य में बड़ा बदलाव आ गया।
इस बार कटोरिया विधानसभा सीट पर मुख्य मुकाबला भाजपा और राजद के बीच होने की संभावना है। भाजपा ने पूरन लाल टुडू को उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारा है, जबकि राजद ने स्वीटी सीमा हेम्ब्रम को प्रत्याशी बनाया है। इसके अतिरिक्त, जन स्वराज पार्टी ने सलोनी मुर्मू को टिकट देकर चुनावी मुकाबले को और भी रोचक बना दिया है।
ऐतिहासिक आंकड़ों पर नजर डालें, तो कांग्रेस ने इस सीट पर 5 बार, राजद ने 3 बार, भाजपा ने 2 बार, जनता दल ने 2 बार और लोजपा ने एक बार जीत हासिल की है। 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की निक्की हेम्ब्रम ने राजद की स्वीटी सीमा हेम्ब्रम को हराकर सफलता पाई थी।
भौगोलिक दृष्टि से कटोरिया झारखंड की सीमा से सटे पहाड़ी क्षेत्र में स्थित है और यह छोटानागपुर पठार का हिस्सा है। यह जिला मुख्यालय बांका से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर है और प्रसिद्ध बाबा बैद्यनाथ की नगरी देवघर से 40 किलोमीटर दूर स्थित है। इसके निकटवर्ती शहर झाझा और अमरपुर हैं।
कटोरिया और इसके आस-पास धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल भी हैं। कटोरिया बाजार में स्थित दुर्गा मंदिर और बौंसी में मधुसूदन मंदिर श्रद्धालुओं के लिए प्रमुख आकर्षण हैं। राधानगर बाजार में स्थित प्राचीन दुर्गा मंदिर में पिछले 136 वर्षों से मां भगवती को डाक चढ़ाने की परंपरा आज भी जारी है।
इसके अलावा, चांदन नदी पर कटोरिया में ब्लॉक मुख्यालय से 29 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में लक्ष्मीपुर गांव स्थित है। इसे राजा लक्ष्मीपुर की पूर्व सीट के रूप में जाना जाता है, जहां के किले आज भी मौजूद हैं।
जातिगत समीकरणों के अनुसार, मुस्लिम मतदाता इस सीट पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा, भूमिहार, ब्राह्मण, कोइरी और रविदास समुदाय के मतदाता भी महत्वपूर्ण संख्या में हैं।