क्या कविता बनर्जी को टाइपकास्ट होने का डर नहीं है?

सारांश
Key Takeaways
- कविता बनर्जी को विलेन के रूप में टाइपकास्ट होने का कोई डर नहीं है।
- उन्होंने नेगेटिव किरदार निभाने को चुनौतीपूर्ण बताया।
- कविता को विभिन्न प्रकार के किरदार करने में आनंद आता है।
- वह पॉजिटिव रोल को भी आजमाना चाहती हैं।
- अभिनेत्री का मानना है कि एक्टिंग का असली मजा विभिन्न भूमिकाओं में है।
मुंबई, 7 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। अभिनेत्री कविता बनर्जी, जो इस समय टीवी शो 'दिव्य प्रेम: प्यार और रहस्य की कहानी' में कर्ण मोहिनी के किरदार में नजर आ रही हैं, ने खुलासा किया कि उन्हें विलेन के रूप में टाइपकास्ट होने का कोई डर नहीं है।
उन्होंने कहा, "ईमानदारी से कहूं, तो यदि आपने भारतीय टीवी देखा है, तो आप जानते हैं कि कलाकारों को कितनी जल्दी एक विशेष इमेज मिल जाती है। यदि आप दो शो में लगातार विलेन का किरदार निभाते हैं, तो लोग आपको 'विलेन एक्टर' कहने लगते हैं।"
कविता ने बताया कि अगर आप पॉजिटिव से निगेटिव किरदार में जाते हैं, तो यह टैग इतना भारी नहीं होता। लेकिन यदि आप अपने करियर की शुरुआत से ही नेगेटिव किरदार निभाते हैं, तो लोग आपको एक 'विलेन एक्टर' के रूप में पहचानने लगते हैं।
अपने किरदार के बारे में बात करते हुए कविता ने बताया कि उनका कर्ण मोहिनी सिर्फ एक साधारण विलेन नहीं है, बल्कि यह एक बड़ा, भव्य और शक्तिशाली किरदार है।
कविता ने कहा, "मुझे टाइपकास्ट होने का कोई डर नहीं है। सच कहूं, तो सामान्य पॉजिटिव किरदार निभाने की तुलना में विलेन का किरदार निभाना अधिक चुनौतीपूर्ण होता है। असल जिंदगी में, मैं एक खुशमिजाज और बिंदास इंसान हूं और मुझे ऐसा ही रहना पसंद है।"
उन्होंने कहा कि उन्हें विभिन्न प्रकार के किरदार करने में आनंद आता है। उनके लिए एक्टिंग का मतलब उन चीजों को करना है जो वह असल जिंदगी में नहीं हैं। उन्होंने कहा, "यह मेरे लिए खुद को सही मायने में चुनौतियों से भरपूर एक्टिंग का मौका देने जैसा है।"
कविता ने बताया कि उन्हें ज्यादातर नेगेटिव रोल ही मिलते हैं, और इससे उन्हें कोई परेशानी नहीं है। हालांकि, यदि कोई उन्हें पॉजिटिव रोल देता है, तो वह उसके लिए भी तैयार हैं।
उन्होंने कहा, "मैं पॉजिटिव रोल को भी आजमाना पसंद करूंगी। मैं विभिन्न प्रकार के रोल करना चाहती हूं, और मुझे यकीन है कि मुझे इसमें मजा आएगा। एक्टर होने का असली मजा यही है कि हर तरह के किरदार निभाने को मिलें।"