क्या केजरीवाल ‘फांसी घर’ जांच के लिए दिल्ली विधानसभा पैनल का सामना करने में फिर से नाकाम रहे?
सारांश
Key Takeaways
- अरविंद केजरीवाल विधानसभा पैनल के सामने पेश नहीं हुए।
- समिति ने आगे की कार्रवाई का निर्णय लिया है।
- पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने का वादा।
- दिल्ली विधानसभा में नकली फांसी के तख्ते पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए।
- समिति में विभिन्न सदस्यों का समावेश।
नई दिल्ली, 20 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली विधानसभा की विशेषाधिकार समिति के अध्यक्ष प्रद्युम्न सिंह राजपूत ने गुरुवार को बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दूसरी बार विधानसभा परिसर में ‘फांसी घर’ से जुड़े तथ्यों को कथित रूप से गलत तरीके से पेश करने के मामले में सुनवाई में शामिल नहीं हुए।
राजपूत ने कहा कि अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, राम निवास गोयल और राखी बिड़ला फिर से विशेषाधिकार समिति के सामने पेश नहीं हुए, जबकि उन्हें अपने वर्जन को रिकॉर्ड पर पेश करने के लिए दो मौके दिए गए थे।
उन्होंने कहा कि उनके लगातार गैर-हाजिर रहने के कारण, समिति ने अब इस मामले में आगे की कार्रवाई करने का निर्णय लिया है।
दिल्ली विधानसभा के स्पीकर विजेंद्र गुप्ता ने 9 अगस्त, 2022 को विधानसभा परिसर में उस समय की केजरीवाल सरकार के तहत शुरू हुए ‘फांसी घर’ पर सवाल उठाया था।
गुप्ता के मामले उठाने के बाद समिति को इस मामले की आगे जांच करने का निर्देश दिया गया।
कमेटी ने जांच को जारी रखते हुए गुरुवार की बैठक विशेष रूप से ‘फांसी घर’ के वास्तविकता पर चर्चा करने के लिए बुलाई थी।
एक बयान में कहा गया कि यह बैठक उद्घाटन से जुड़े सभी तथ्यों की पूरी जांच के लिए आवश्यक प्रक्रियागत आकलन को आगे बढ़ाने के लिए आयोजित की गई थी।
समिति में चेयरपर्सन राजपूत, सूर्य प्रकाश खत्री, अभय कुमार वर्मा, अजय कुमार महावर, सतीश उपाध्याय, नीरज बसोया, रविकांत, राम सिंह नेताजी और सुरेंद्र कुमार शामिल हैं।
कमेटी ने पारदर्शिता, जवाबदेही और संस्थागत ईमानदारी सुनिश्चित करने के अपने वादे को दोहराया। इसने इस बात पर जोर दिया कि निष्पक्षता से जांच पूरी करने के लिए सभी संबंधित लोगों का सहयोग आवश्यक है।
अगस्त में स्पीकर गुप्ता ने कहा था कि इस सदन में कई दिनों तक चली चर्चा के बाद, सत्यापित तथ्यों और दस्तावेजों के आधार पर यह सिद्ध हो गया है कि दिल्ली विधानसभा कॉम्प्लेक्स में नकली फांसी का तख्ता बनाने और गुमराह करने वाले विज्ञापनों पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए थे।
उन्होंने कहा कि जब 2022 में यह कथित फांसी का तख्ता बनाया गया, तो मेरी और विपक्षी सदस्यों की भावनाएं देशभक्ति से भरी हुई थीं।
गुप्ता ने कहा कि स्पीकर का पद संभालने के बाद और विश्वसनीय शोध संस्थानों और राष्ट्रीय अभिलेखागार से सत्यापित दस्तावेज मिलने पर यह स्पष्ट हो गया कि यह कथित फांसी का तख्ता पूरी तरह से मनगढ़ंत था।
उन्होंने कहा कि विपक्ष उस समय सत्ताधारी पार्टी थी और जब यह गलतबयानी हुई, तब सदन ने उनसे इस ढांचे के निर्माण को सही ठहराने के लिए कोई ठोस सबूत पेश करने का अनुरोध किया था।