क्या केंद्र ने टेक्सटाइल के लिए पीएलआई आवेदन की अंतिम तिथि बढ़ाई?

सारांश
Key Takeaways
- पीएलआई योजना के तहत आवेदन की अंतिम तिथि बढ़ाई गई है।
- निवेशकों के लिए नए अवसर उपलब्ध होंगे।
- उद्योग की निरंतर निवेश क्षमता को दर्शाता है।
- भारत में टेक्सटाइल उत्पादों का उत्पादन बढ़ेगा।
- इससे रोजगार में वृद्धि होगी।
नई दिल्ली, 3 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्र ने उद्योग के विभिन्न हितधारकों की उत्साहजनक प्रतिक्रिया को ध्यान में रखते हुए शुक्रवार को वस्त्र क्षेत्र के लिए पीएलआई योजना के तहत नए आवेदन प्राप्त करने की अंतिम तिथि को इस वर्ष के दिसंबर के अंत तक बढ़ाने का निर्णय लिया है।
वस्त्र मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि आवेदन पोर्टल अब 31 दिसंबर, 2025 तक खुला रहेगा, जिससे संभावित निवेशकों को इस योजना में भाग लेने और लाभ उठाने का एक और अवसर प्राप्त होगा।
यह समय सीमा बढ़ाने का निर्णय अगस्त 2025 में शुरू हुए लेटेस्ट इनविटेशन राउंड में मैन-मेड फाइबर (एमएमएफ) परिधान, एमएमएफ फैब्रिक और टेक्निकल टेक्सटाइल जैसे क्षेत्रों से कई आवेदन प्राप्त होने के बाद लिया गया है।
इच्छुक आवेदक अपने प्रस्तावों को आधिकारिक ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से जमा कर सकते हैं।
बयान में उल्लेख किया गया है कि आवेदन विंडो को फिर से खोलना पीएलआई योजना के तहत उद्योग की निरंतर निवेश क्षमता का प्रमाण है, जो घरेलू कपड़ा विनिर्माण में बढ़ती बाजार मांग और विश्वास को दर्शाता है।
एमएमएफ परिधान, एमएमएफ फैब्रिक और देश में टेक्निकल टेक्सटाइल उत्पादों के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए कपड़ा क्षेत्र को आकार और क्षमता प्रदान करने के उद्देश्य से सितंबर 2021 में 10,683 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ कपड़ा उद्योग के लिए पीएलआई योजना को मंजूरी दी गई थी।
वित्त वर्ष 2024-25 में एमएमएफ निर्यात लगभग 525 करोड़ रुपये तक बढ़ गया, जबकि वित्त वर्ष 2023-24 में यह 499 करोड़ रुपये था।
वहीं, टेक्निकल टेक्सटाइल का निर्यात 294 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष 200 करोड़ रुपये था।
केंद्र की पीएलआई योजनाओं ने भारत को आयात पर निर्भर देश से 1.76 लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश के साथ ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग में एक प्रमुख खिलाड़ी बनाते हुए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इन योजनाओं के चलते उत्पादन, निर्यात और रोजगार में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है।
पीएलआई योजनाएं न केवल उभरते क्षेत्रों का समर्थन करती हैं, बल्कि इनोवेशन को बढ़ावा देकर और वैश्विक सप्लाई चेन को देश में स्थापित कर, भारत के मैन्युफैक्चरिंग बेस को मजबूती प्रदान कर रही हैं।
पीएलआई प्रतिभागियों की कुल बिक्री 16.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक होने से उत्पादन पर महत्वपूर्ण प्रभाव देखा गया है, जो कपड़ा, इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्यूटिकल्स और ऑटोमोटिव जैसे प्रमुख क्षेत्रों में प्रभावशाली वृद्धि दर्शाता है।