बरेली में जुमे की नमाज के दौरान मौलाना सूफियान की खास अपील क्यों थी?

सारांश
Key Takeaways
- बरेली में जुमे की नमाज शांतिपूर्ण रही।
- मौलाना सूफियान ने शांति की अपील की।
- बेकसूर लोगों के खिलाफ कार्रवाई पर पुनर्विचार की आवश्यकता।
- संविधान और कानून का सम्मान आवश्यक।
- शांति बनाए रखना हर नागरिक की जिम्मेदारी है।
बरेली, 3 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बरेली में हालिया घटनाक्रम के बाद प्रशासन सतर्कता बरत रहा है। सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं ताकि शहर में शांति और व्यवस्था बनी रहे। शुक्रवार की जुमे की नमाज भी शांतिपूर्ण और सुव्यवस्थित तरीके से संपन्न हुई, जिससे माहौल में सकारात्मकता बनी रही। इस मामले पर मौलाना सूफियान निजामी ने राष्ट्र प्रेस से विशेष बातचीत की।
मौलाना सूफियान निजामी ने कहा कि बरेली में जो कुछ हुआ है, वह निश्चित तौर पर दुखद है। यह घटना नहीं होनी चाहिए थी क्योंकि इससे हमारे देश की अमन और शांति को बड़ा नुकसान हुआ है। जुमे की नमाज में भी यही दुआ की गई कि हमारे देश में अमन और शांति स्थापित रहे।
उन्होंने मुसलमानों से अपील की कि किसी भी ऐसे प्रोटेस्ट या एहतिजाज का हिस्सा न बनें, जिसकी अनुमति पहले से नहीं ली गई हो। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम शांति बनाए रखें और कानून का सम्मान करें।
मौलाना ने यह भी कहा कि बरेली में कार्रवाई के नाम पर जो कुछ हो रहा है, वह भी अनुचित है। निर्दोष लोगों के घरों पर बुलडोजर चलाना और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करना सही नहीं है। हमारे देश का संविधान सभी को समान अधिकार देता है। हर धर्म के लोगों को समान दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए।
उन्होंने प्रशासन से अनुरोध किया कि जिन निर्दोष लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं, उन मामलों को वापस लिया जाए।
मौलाना ने कहा कि कार्रवाई केवल संविधान और कानून के दायरे में रहकर होनी चाहिए ताकि देश के लोगों का संविधान और कानून पर भरोसा बना रहे। देश में शांति और अमन कायम रहे और हम शांतिपूर्वक अपने अधिकारों की आवाज उठा सकें। उन्होंने कहा कि विरोध या प्रोटेस्ट करने का भी एक सभ्य और संविधानिक तरीका होना चाहिए।
मौलाना ने बताया कि जुमे की नमाज में मुस्लिम समुदाय ने विशेष रूप से देश की शांति और अमन के लिए दुआ की। उन्होंने बरेली में अमन बहाल करने की भी दुआ की और सभी से अपील की कि बिना अनुमति के किसी भी प्रोटेस्ट का हिस्सा न बनें।
उन्होंने स्पष्ट कहा कि मुसलमान केवल उन्हीं प्रोटेस्ट का हिस्सा बनेंगे, जिनकी अनुमति प्राप्त की गई हो और जो संविधान के दायरे में हों। हमें हर हाल में कानून का सम्मान करना चाहिए और शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखनी चाहिए।