क्या केंद्र सरकार ग्रीन मोबिलिटी और ईवी मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है?

सारांश
Key Takeaways
- केंद्र सरकार ग्रीन मोबिलिटी को बढ़ावा दे रही है।
- ईवी मैन्युफैक्चरिंग में भारत की महत्वाकांक्षा है।
- 2030 तक 500 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी का लक्ष्य।
- जलवायु लक्ष्यों की पूर्ति के लिए यह एक आवश्यक कदम है।
- स्थानीय निर्माण और बैटरी रीसाइक्लिंग को प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
नई दिल्ली, 10 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने गुरुवार को यह स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार ग्रीन मोबिलिटी और ईवी मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम के विकास के लिए दृढ़ संकल्पित है। उन्होंने यह भी बताया कि भारत क्लीन मोबिलिटी यात्रा में अपने लक्ष्य की दिशा में सही मार्ग पर है।
राष्ट्रीय राजधानी में ‘इंडिया एनर्जी स्टोरेज वीक’ के एक सत्र में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार देश में ग्रीन मोबिलिटी और ईवी मैन्युफैक्चरिंग के विकास को तेज करने के लिए प्रतिबद्ध है, और पीएम ई-ड्राइव तथा फेम-II योजनाओं की शुरुआत इसका स्पष्ट प्रमाण है।
इसके अतिरिक्त, ईवी रेट्रोफिटिंग रेगुलेशन और ईवी के लिए टोल टैक्स छूट जैसी नीतियों का उद्देश्य परिवहन को और अधिक सुलभ और सस्टेनेबल बनाना है।
मल्होत्रा ने कहा कि इलेक्ट्रिक मोबिलिटी में परिवर्तन केवल एक तकनीकी बदलाव नहीं है, बल्कि जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने, आर्थिक मजबूती और ऊर्जा सुरक्षा बनाए रखने के लिए एक राष्ट्रीय आवश्यकता है।
उन्होंने सड़क, रेल और भंडारण को जोड़ते हुए सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा विकसित किए जा रहे मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्कों का उल्लेख किया, जिन्हें अब हरित ऊर्जा प्रावधानों और इलेक्ट्रिक वाहनों के अनुकूल सुविधाओं से लैस किया जा रहा है। इससे लॉजिस्टिक्स लागत में कमी आएगी, उत्सर्जन घटेगा और भारत की स्वच्छ एवं कनेक्टेड परिवहन केंद्र के रूप में स्थिति मजबूत होगी।
मल्होत्रा ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी की सरकार 2030 तक 500 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी उत्पन्न करने के लिए प्रतिबद्ध है और भारत क्लीन मोबिलिटी सॉल्यूशंस का वैश्विक केंद्र बनने के लिए तैयार है।
उन्होंने सभी पक्षकारों से एक ऐसा परिवहन भविष्य विकसित करने का आह्वान किया जो न केवल इलेक्ट्रिक हो, बल्कि सुरक्षित, समावेशी और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार भी हो।
मल्होत्रा ने कहा, "हमें यह समझना चाहिए कि भारत की जलवायु और मोबिलिटी आवश्यकताओं के अनुसार बैटरी स्टोरेज टेक्नोलॉजी हमारे भविष्य के लिए महत्वपूर्ण होगी।"
उन्होंने उद्योग जगत के नेताओं से अनुसंधान एवं विकास में निवेश करने, स्थानीय स्तर पर निर्माण करने और बैटरी रीसाइक्लिंग एवं पुन: उपयोग जैसे समाधानों को अपनाने का अनुरोध किया।