क्या कोलकाता सोना आयात घोटाला है? ईडी ने लिचेन मेटल्स और चार अन्य के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दी

सारांश
Key Takeaways
- कोलकाता में सोना आयात घोटाला गंभीर आर्थिक अपराध है।
- प्रवर्तन निदेशालय की जांच से नए तथ्य सामने आए हैं।
- फर्जी दस्तावेजों के आधार पर धोखाधड़ी की गई।
- लिचेन मेटल्स प्राइवेट लिमिटेड और एसटीसी के अधिकारियों की भूमिका महत्वपूर्ण है।
- आगे की जांच से मामले की सच्चाई स्पष्ट होगी।
कोलकाता, 12 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कोलकाता क्षेत्रीय इकाई ने मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत लिचेन मेटल्स प्राइवेट लिमिटेड और चार अन्य के खिलाफ 9 जुलाई को विशेष पीएमएलए कोर्ट, कोलकाता में अभियोजन शिकायत प्रस्तुत की।
ईडी की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत दायर एक आरोपपत्र के आधार पर प्रारंभ हुई थी, जिसमें लिचेन मेटल्स प्राइवेट लिमिटेड (एलएमपीएल) और अन्य संदिग्ध व्यक्तियों और संस्थाओं को नामित किया गया था।
जांच में यह स्पष्ट हुआ कि एलएमपीएल के प्रतिनिधि श्याम सुंदर केडिया ने कोलकाता स्थित स्टेट ट्रेडिंग कॉरपोरेशन (एसटीसी) के शाखा प्रबंधक से 2,000 किलोग्राम सोने के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति मांगी थी। हालांकि, यह मांग केवल एक अनुमान थी और इसे विदेशी आपूर्तिकर्ताओं ने स्वीकार नहीं किया, फिर भी एसटीसी के अधिकारियों ने षड्यंत्र के तहत इस मांग को दो हिस्सों में बांटकर (1,000-1,000 किलोग्राम) प्रस्तुत किया।
इससे मंजूरी शाखा प्रबंधक के अधिकार क्षेत्र में आ गई और कॉर्पोरेट कार्यालय की अनुमति की आवश्यकता नहीं रही।
इन फर्जी दस्तावेजों के आधार पर एसटीसी अधिकारियों ने भारतीय स्टेट बैंक से 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर का अग्रिम विदेशी मुद्रा कवर प्राप्त किया, जबकि सोने का आयात वास्तव में हुआ ही नहीं।
जांच में यह भी पाया गया कि एलएमपीएल और एसटीसी अधिकारियों ने केवल दो महीने बाद ही इस अग्रिम कवर को रद्द करवा दिया, जिससे कंपनी को 31.93 करोड़ रुपए का अनुचित लाभ हुआ।
इस मामले में ईडी ने 28 अगस्त 2024 को लिचेन मेटल्स प्राइवेट लिमिटेड की 31.93 करोड़ रुपए की चल संपत्तियों को पीएमएलए के प्रावधानों के तहत अस्थायी रूप से जब्त किया था। इस मामले में आगे की जांच जारी है।