क्या नंद के घर 'आनंद' बन आए कान्हा? कृष्ण मंदिरों में उमड़ा आस्था का जनसैलाब

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क्या नंद के घर 'आनंद' बन आए कान्हा? कृष्ण मंदिरों में उमड़ा आस्था का जनसैलाब

सारांश

भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव देशभर में धूमधाम से मनाया जा रहा है। भक्तों की भीड़ मंदिरों में उमड़ रही है, जहां भक्ति और उत्साह का माहौल है। जानिए इस पर्व के खास आयोजन और धार्मिक महत्व के बारे में।

Key Takeaways

  • भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव विशेष पर्व है।
  • मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है।
  • विशेष भोग अर्पित किया जाता है।
  • भक्ति और प्रेम का संदेश देता है।
  • धार्मिक एकता का प्रतीक है।

नई दिल्ली, 17 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के अवसर पर देश भर में मंदिरों, घरों और सार्वजनिक स्थलों पर उत्सव का माहौल देखने को मिल रहा है। जहां भक्त भगवान कृष्ण के प्रकट होने की खुशी में झूम रहे हैं, वहीं कई घरों में मंगल गीत गाए जा रहे हैं।

मथुरा, वृंदावन, द्वारका और उज्जैन जैसे प्रमुख तीर्थ स्थलों से लेकर छोटे गांवों तक, भक्त श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन हैं। मंदिरों में भगवान के दर्शन के लिए भक्तों की लंबी कतारें लगी हुई हैं।

मथुरा, वृंदावन, द्वारका और अन्य प्रमुख तीर्थ स्थलों पर लाखों श्रद्धालु भगवान के दर्शन हेतु उमड़ पड़े हैं और कृष्ण कन्हैया की जय-जयकार कर रहे हैं।

मथुरा और वृंदावन, जहां भगवान श्रीकृष्ण का जन्म और बाल्यकाल बीता, वहां का नजारा विशेष रूप से मनमोहक है। श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर को फूलों, रोशनी और रंगोली से सजाया गया है। मध्यरात्रि में भगवान के जन्म के समय मंदिरों में घंटियों की गूंज और भक्ति भजनों ने वातावरण को और भी भक्तिमय बना दिया है।

गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने अहमदाबाद के एसजी हाईवे पर स्थित इस्कॉन मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की। उन्होंने भगवान को दूध, दही और माखन का भोग अर्पित किया और प्रदेश की सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना की। वहां भक्तों ने भक्ति भजनों और नृत्य के साथ उत्सव का आनंद लिया।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा, "श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व हमें भक्ति, प्रेम और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से हमें कर्तव्य और नैतिकता का पाठ सीखने को मिलता है।"

दिल्ली के ईस्ट ऑफ कैलाश में स्थित इस्कॉन मंदिर में भी जन्माष्टमी का उत्सव धूमधाम से मनाया गया। मंदिर के कपाट खुलते ही श्रद्धालुओं की भीड़ भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की एक झलक पाने के लिए उमड़ पड़ी। मंदिर को फूलों और रंग-बिरंगी रोशनी से सजाया गया था, जिसने उत्सव का माहौल और भव्य बना दिया।

पटना के इस्कॉन मंदिर में भी जन्माष्टमी का उत्सव जोर-शोर से मनाया गया। यहां भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की विशेष पूजा की गई। भक्तों ने माखन-मिश्री का भोग अर्पित किया और भजन-कीर्तन में डूबकर उत्सव का आनंद लिया। मंदिर प्रशासन ने बताया कि हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचे, और रात में होने वाली विशेष आरती के लिए उत्साह और बढ़ गया।

गुजरात के द्वारका में श्री द्वारकाधीश मंदिर में भी जन्माष्टमी का विशेष आयोजन हुआ। मंदिर को फूलों और दीयों से सजाया गया। भक्तों ने भगवान द्वारकाधीश के दर्शन किए। द्वारका में जन्माष्टमी का उत्सव विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यह स्थान भगवान श्रीकृष्ण की कर्मभूमि से जुड़ा है।

पश्चिम बंगाल के कोलकाता में इस्कॉन मंदिर में भी जन्माष्टमी की धूम रही। यहां भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की विशेष पूजा की गई।

देश के अन्य हिस्सों में भी जन्माष्टमी की धूम देखने को मिल रही है। दिल्ली के इस्कॉन मंदिर, मुंबई के सिद्धि विनायक मंदिर और कोलकाता के विभिन्न मंदिरों में भजन-कीर्तन और भक्ति कार्यक्रम हो रहे हैं।

भक्तों ने भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की झांकियां सजाई हैं और रासलीला का आयोजन किया है। साथ ही भक्तों ने भगवान को माखन, मिश्री और पंजीरी का भोग अर्पित किया है।

Point of View

यह कहना उचित होगा कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि समाज को एकता और प्रेम का संदेश भी देता है।
NationPress
16/08/2025

Frequently Asked Questions

भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव कब मनाया जाता है?
भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव, जिसे जन्माष्टमी कहा जाता है, हर साल भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।
इस दिन भक्त किस प्रकार की पूजा करते हैं?
इस दिन भक्त विशेष रूप से भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा करते हैं और भजन-कीर्तन का आयोजन करते हैं।
मंदिरों में इस पर्व का विशेष महत्व क्या है?
मंदिरों में इस पर्व का विशेष महत्व है क्योंकि यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है और भगवान के दर्शन के लिए लम्बी कतारें लगती हैं।
क्या इस अवसर पर विशेष भोग अर्पित किया जाता है?
हाँ, इस अवसर पर भक्त माखन, मिश्री और पंजीरी का विशेष भोग अर्पित करते हैं।
जन्माष्टमी का पर्व हमें क्या सिखाता है?
जन्माष्टमी का पर्व हमें भक्ति, प्रेम और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।