क्या जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियान के दौरान सेना के दो जवान शहीद हुए?

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क्या जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियान के दौरान सेना के दो जवान शहीद हुए?

सारांश

जम्मू-कश्मीर के कुलगाम जिले में सेना के आतंकवाद विरोधी अभियान में दो जवान शहीद हो गए हैं। यह अभियान 9 दिनों से जारी है, जिसमें सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच लगातार संघर्ष हो रहा है। यह स्थिति देश के लिए चिंताजनक है।

Key Takeaways

  • सेना के दो जवान शहीद हुए।
  • आतंकवाद विरोधी अभियान 9वें दिन में प्रवेश कर चुका है।
  • सुरक्षा बलों ने ड्रोन और हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया।
  • यह कार्रवाई पिछले दो दशकों की सबसे लंबी है।
  • सुरक्षा बल केवल आतंकियों को नहीं, बल्कि उनके सभी नेटवर्क को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं।

श्रीनगर, 9 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। जम्मू-कश्मीर के कुलगाम जिले के अखल देवसर वन क्षेत्र में चल रहे आतंकवाद विरोधी अभियान के दौरान सेना के दो जवान शहीद हो गए, जबकि दो अन्य घायल हुए हैं। यह अभियान अब शनिवार को 9वें दिन में प्रवेश कर चुका है।

सेना के एक प्रवक्ता ने जानकारी दी कि दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले के अखल वन क्षेत्र में आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच गोलाबारी शुक्रवार रात भर चलती रही, जिसमें दो सैन्यकर्मी शहीद हो गए और दो अन्य घायल हो गए।

इस गोलीबारी में चार जवान घायल हुए थे, जिनमें से दो की मौत हो गई। शहीद सैनिकों की पहचान 19 राष्ट्रीय राइफल्स (आरआर) के कांस्टेबल हरमिंदर सिंह और लांस नायक प्रीतपाल सिंह के रूप में हुई है।

चिनार कोर ने सोशल मीडिया पर कहा, "चिनार कोर अपने वीर सैनिकों, लांस नायक प्रीतपाल सिंह और सिपाही हरमिंदर सिंह के सर्वोच्च बलिदान को सम्मान देता है। उनके साहस और समर्पण हमें हमेशा प्रेरित करेंगे।" भारतीय सेना ने शोकग्रस्त परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की है।

यह अभियान घाटी में चल रही सबसे लंबी कार्रवाई है, जो अब 9वें दिन में प्रवेश कर चुकी है। पहले दिन की गोलीबारी में एक स्थानीय आतंकवादी मारा गया और चार सैनिक घायल हुए।

अधिकारियों ने बताया कि यह एक विशाल और घना जंगल क्षेत्र है, इसलिए ऑपरेशन में समय लग सकता है। जम्मू-कश्मीर में पिछले दो दशकों की सबसे लंबी आतंकवाद विरोधी कार्रवाई चल रही है। डीजीपी नलिन प्रभात इस ऑपरेशन की निगरानी कर रहे हैं।

सेना, सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने पिछले शुक्रवार को इस क्षेत्र में कॉर्डन एंड सर्च ऑपरेशन (सीएएसओ) शुरू किया था। सेना ने आतंकियों को भागने से रोकने के लिए रुद्रा हेलीकॉप्टर, ड्रोन और पैरा कमांडो तैनात किए हैं।

सुरक्षा बल आतंकियों के खिलाफ आक्रामक कार्रवाई कर रहे हैं, जबकि सेना नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर पूरी तरह सतर्क है।

22 अप्रैल को हुए पहलगाम हमले के बाद, सुरक्षा बल आतंकियों और उनके समर्थकों के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं।

सुरक्षा बलों का लक्ष्य केवल आतंकियों को मारना नहीं, बल्कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के पूरे तंत्र को खत्म करना है।

Point of View

यह स्पष्ट है कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई केवल सैन्य कार्रवाई तक सीमित नहीं है। हमें इसके मूल कारणों पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। सुरक्षा बलों का प्रयास सराहनीय है, लेकिन हमें यह समझना होगा कि आतंकवाद का समाधान केवल शारीरिक बल से नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक विकास के माध्यम से भी किया जा सकता है।
NationPress
09/08/2025

Frequently Asked Questions

कुलगाम जिले में क्या हुआ?
कुलगाम जिले में एक आतंकवाद विरोधी अभियान के दौरान सेना के दो जवान शहीद हो गए और दो अन्य घायल हुए हैं।
शहीद जवानों की पहचान क्या है?
शहीद जवानों में कांस्टेबल हरमिंदर सिंह और लांस नायक प्रीतपाल सिंह शामिल हैं।
यह ऑपरेशन कब से चल रहा है?
यह ऑपरेशन जम्मू-कश्मीर में पिछले 9 दिनों से चल रहा है।
सुरक्षा बलों का लक्ष्य क्या है?
सुरक्षा बलों का लक्ष्य आतंकवाद के संपूर्ण तंत्र को समाप्त करना है।
क्या यह अभियान सफल हो रहा है?
इस अभियान में कई जवान घायल हुए हैं, लेकिन सुरक्षा बल आतंकवादियों के खिलाफ आक्रामक कार्रवाई कर रहे हैं।