क्या पीएम मोदी के स्वदेशी आह्वान से कुम्हारों की दिवाली चमकेगी?

सारांश
Key Takeaways
- प्रधानमंत्री मोदी का स्वदेशी उत्पादों के लिए आह्वान कुम्हारों के लिए वरदान है।
- मिट्टी के दीयों की मांग में बढ़ोतरी से कुम्हारों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है।
- सरकार की ओर से दिए गए आधुनिक उपकरण कुम्हारों की मेहनत को कम कर रहे हैं।
- पारंपरिक कुम्हारों में रौनक लौटी है, जिससे गांव की आर्थिकी में सुधार हो रहा है।
- दीपावली पर कुम्हारों के उत्पादों की बिक्री में तेज़ी आई है।
प्रयागराज, 11 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। दीपों का पर्व दीपावली नजदीक है। इस अवसर पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए स्वदेशी अपनाने के आह्वान के बाद उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के कुम्हारों में खुशी की लहर दौड़ गई है।
प्रधानमंत्री के इस आह्वान के परिणामस्वरूप इस बार दीवाली पर स्वदेशी दीयों की मांग में बढ़ोतरी की संभावना है, जो कुम्हारों के लिए एक वरदान साबित हो सकता है। यह पहल न केवल कुम्हारों के पारंपरिक व्यवसाय को बढ़ावा देगी, बल्कि स्वदेशी वस्तुओं को भी प्रोत्साहित करेगी। कुम्हारों का कहना है कि प्रधानमंत्री की इस पहल से उन्हें अच्छे ऑर्डर प्राप्त हो रहे हैं और डिमांड भी बढ़ी है। इस बार उनकी दीवाली पिछले साल की तुलना में बेहतर होगी। इसके लिए वे प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद देते हैं।
कुम्हार जवाहर लाल प्रजापति ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में बताया कि इस बार की दीवाली खास है। मिट्टी के दीयों की मांग में भारी वृद्धि हुई है, विशेषकर पारंपरिक सामानों की वजह से। मेले लगने से भी डिमांड में इजाफा हुआ है। इस बार चाइनीज दीयों की मांग कम है। प्रधानमंत्री मोदी के स्वदेशी उत्पादों की पहल से कुम्हारों को अच्छा लाभ हो रहा है। सरकार द्वारा प्रदान किए गए इलेक्ट्रॉनिक चाक से दो महीने में एक लाख से ज्यादा दीये तैयार हो जाते हैं।
कुम्हार सचिन ने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी के स्वदेशी उत्पादों के आह्वान के कारण इस बार दीवाली शानदार होगी। चाइनीज सामानों के बहिष्कार से स्वदेशी की मांग बढ़ गई है। हम दीयों का निर्माण छः महीने पहले से ही शुरू कर देते हैं। डिमांड को पूरा करने के लिए हमें मेहनत करनी पड़ रही है और विभिन्न मेले में दुकानें भी लगाते हैं।
वहीं, अमेठी जनपद मुख्यालय गौरीगंज स्थित माधवपुर गांव में पारंपरिक कुम्हारों के घरों में रौनक लौट आई है। गांव के निवासी हूबलाल प्रजापति और उनके परिवार सहित कई कारीगर इस समय मिट्टी के दीये, पूजन के बर्तन, छोटी-बड़ी घंटियां और बच्चों के लिए पारंपरिक मिट्टी के खिलौने बनाने में व्यस्त हैं।
हूबलाल प्रजापति ने बताया कि दीपावली में प्रयोग के लिए मिट्टी के बर्तनों को तैयार करने में कड़ी मेहनत लगती है। मिट्टी को छानने, गूंथने, आकार देने और धूप में सुखाकर भट्ठी में पकाने में कई दिन लगते हैं। उन्होंने कहा कि इस बार की पूरी प्रक्रिया लगभग समाप्त हो चुकी है और अब ये बर्तन बाजार में उचित दामों पर बिकेंगे।
उन्होंने बताया कि सरकार की ओर से कुछ बेहतर व्यवस्थाएं की गई हैं। विशेष रूप से, कुम्हारों को 10 दिन का परीक्षण प्रशिक्षण और उपकरण पूर्व सांसद द्वारा उपलब्ध कराए गए थे। इन आधुनिक उपकरणों से अब पहले की तुलना में कम मेहनत में बेहतर गुणवत्ता के मिट्टी के दीपक और बर्तन तैयार किए जा रहे हैं।
हूबलाल ने कहा कि इस पहल से न केवल उन्हें और उनके परिवार को सहूलियत मिली है, बल्कि आर्थिक मजबूती भी प्राप्त हुई है। दीपावली पर उनकी बनाई वस्तुएं बाजारों में तेजी से बिक रही हैं, जिससे उनके परिवार में खुशी और उत्साह का माहौल है। गांव के अन्य कारीगर भी इस परंपरा को आगे बढ़ाने में लगे हैं। मिट्टी की खुशबू, भट्टियों की गर्माहट और दीयों की रोशनी से पूरा माधवपुर गांव इन दिनों दीपावली के उल्लास में रंगा हुआ है।