क्या आमी 'कलकत्ता' : 'भद्रलोक' की भव्य गाथा है, आधुनिक शहर यही, पुरानी धड़कन भी वही?

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क्या आमी 'कलकत्ता' : 'भद्रलोक' की भव्य गाथा है, आधुनिक शहर यही, पुरानी धड़कन भी वही?

सारांश

इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे एक छोटे से कदम ने कलकत्ता को एक महानगर बना दिया। 335 साल पहले की उस ऐतिहासिक घटना की गाथा, जो आज भी कोलकाता की पहचान है।

Key Takeaways

  • कोलकाता का इतिहास 335 साल पुराना है।
  • जॉब चार्नॉक ने 1690 में कलकत्ता की नींव रखी।
  • यह शहर आज भी अपनी संस्कृति और कला के लिए प्रसिद्ध है।
  • कोलकाता को 'सिटी ऑफ जॉय' कहा जाता है।
  • यहां का खाना सभी को भाता है।

नई दिल्ली, 23 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। 335 साल पहले, तारीख 24 अगस्त 1690, यह वह समय था जब कलकत्ता (कोलकाता) ने इतिहास के पन्नों में अपनी पहचान बनानी शुरू की। यह वही दिन था जब ईस्ट इंडिया कंपनी के व्यापारी जॉब चार्नॉक ने हुगली नदी के किनारे तीन गांवों का समागम कर एक व्यापारिक केंद्र की स्थापना की। शायद ही किसी ने सोचा था कि यह छोटा सा कदम भारत के सांस्कृतिक, व्यापारिक और ऐतिहासिक नक्शे पर एक स्थायी छाप छोड़ेगा।

17वीं शताब्दी में जब विदेशी व्यापारी भारत में मसालों और रेशम की खोज में थे, जॉब चार्नॉक ने हुगली नदी के किनारे एक उपयुक्त व्यापारिक स्थल की तलाश की। सूतानुती, गोविंदपुर और कालीघाट के ये तीन गांव नदी के किनारे स्थित होने के साथ-साथ रणनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण थे।

चार्नॉक ने यहां एक व्यापारिक चौकी बनाई, जो जल्दी ही ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का मुख्यालय बन गई। लेकिन, यह स्थापना आसान नहीं थी। स्थानीय जमींदारों और मुगल शासन के साथ बातचीत, संघर्षों और प्राकृतिक चुनौतियों का सामना करते हुए, चार्नॉक ने हार नहीं मानी। उनकी दृढ़ता ने उस शहर की नींव रखी जिसे आज हम कोलकाता के नाम से जानते हैं।

1690 में शुरू हुआ यह शहर धीरे-धीरे भारत में ब्रिटिश साम्राज्य का केंद्र बन गया। 1772 में जब वारेन हेस्टिंग्स ने इसे ब्रिटिश भारत की राजधानी बनाया, तब कलकत्ता ने न केवल व्यापार, बल्कि संस्कृति, शिक्षा और कला में भी अपनी पहचान बनानी शुरू की।

फोर्ट विलियम, राइटर्स बिल्डिंग और विक्टोरिया मेमोरियल जैसे ऐतिहासिक स्थल आज भी उस समय की गवाही देते हैं। लेकिन, कोलकाता का इतिहास सिर्फ औपनिवेशिक नहीं है। यहां राजा राममोहन राय, ईश्वरचंद्र विद्यासागर और रवींद्रनाथ टैगोर जैसे महान विचारकों ने सामाजिक सुधार और साहित्य की नई लहर को जन्म दिया।

2001 में जब कलकत्ता का नाम आधिकारिक रूप से कोलकाता रखा गया, तो यह केवल नाम का बदलाव नहीं था, बल्कि यह शहर की बंगाली पहचान के पुनर्जीवन का प्रतीक था। यही वह शहर है, जहां गंगा की लहरें, काली मां की भक्ति और रसगुल्लों की मिठास एक साथ मिलती हैं।

कोलकाता को 'सिटी ऑफ जॉय' के नाम से भी जाना जाता है। यहां की हावड़ा ब्रिज की भव्यता हो या दक्षिणेश्वर मंदिर की शांति, कोलकाता हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करता है। इस शहर ने सत्यजीत राय की सिनेमाई कला को जन्म दिया और दुर्गा पूजा जैसे उत्सवों को वैश्विक पहचान दिलाई। यहां की गलियों में आज भी पुरानी ट्राम की खटपट सुनाई देती है। एक समय की काली-पीली टैक्सियां भी कोलकाता की जीवंतता को दर्शाती हैं।

कोलकाता का खाना, चाहे काठी रोल हो या मिष्टी दोई, हर किसी की आत्मा को छूता है। इस शहर की खासियत यह है कि यहां पुरानी हवेलियां और आधुनिक मॉल एक साथ मिलकर सांस लेते हैं। कोलकाता आज भी अपने ऐतिहासिक गौरव के साथ-साथ एक आधुनिक महानगर के रूप में जाना जाता है। सूचना प्रौद्योगिकी, शिक्षा और स्टार्टअप्स के क्षेत्र में कोलकाता तेजी से प्रगति कर रहा है।

Point of View

भारत का एक ऐसा शहर है जो अपने ऐतिहासिक महत्व और आधुनिक विकास के लिए जाना जाता है। यह शहर न केवल व्यापारिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यहां की संस्कृति और कला भी इसे खास बनाती है। इसे देखते हुए, हमें यह समझना चाहिए कि कोलकाता का इतिहास और वर्तमान दोनों मिलकर इसे एक अद्वितीय पहचान देते हैं।
NationPress
23/08/2025

Frequently Asked Questions

कलकत्ता का नाम कब बदला गया?
2001 में कलकत्ता का नाम आधिकारिक रूप से कोलकाता किया गया।
जॉब चार्नॉक ने कलकत्ता की स्थापना कब की?
जॉब चार्नॉक ने 24 अगस्त 1690 को कलकत्ता की स्थापना की।
कोलकाता को किस नाम से जाना जाता है?
कोलकाता को 'सिटी ऑफ जॉय' के नाम से भी जाना जाता है।
कोलकाता में कौन-कौन से ऐतिहासिक स्थल हैं?
कोलकाता में फोर्ट विलियम, राइटर्स बिल्डिंग और विक्टोरिया मेमोरियल जैसे ऐतिहासिक स्थल हैं।
कोलकाता का प्रसिद्ध खाना क्या है?
कोलकाता का काठी रोल और मिष्टी दोई बहुत प्रसिद्ध हैं।