क्या अदाणी समूह को सेबी से मिली क्लीन चिट एक न्याय की जीत है?

सारांश
Key Takeaways
- अदाणी समूह को सेबी से मिली क्लीन चिट से विवाद खत्म हुआ।
- राजनीतिक नेताओं ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट को साजिश बताया।
- सेबी की जांच पारदर्शिता का प्रतीक है।
- अर्थव्यवस्था की मजबूती का संदेश।
- नेताओं के बयानों से राजनीतिक स्थिति का संकेत मिलता है।
मुंबई, 19 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा अदाणी समूह को क्लीन चिट दिए जाने के उपरांत, विभिन्न राजनीतिक नेताओं ने इस निर्णय का स्वागत किया है। नेताओं ने इसे पारदर्शी और निष्पक्ष जांच का परिणाम बताया, साथ ही हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट को एक साजिश और बदनामी का हिस्सा करार दिया।
भाजपा नेता और पूर्व मंत्री राज के. पुरोहित ने हिंडनबर्ग पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, "हिंडनबर्ग एक धोखेबाज संस्था है, जो अमेरिका से संचालित होती है और समय-समय पर अन्य देशों के उद्योगों को निशाना बनाती है। यह पैसा लेकर इटली भाग गई। यह साफ है कि कुछ तत्व भारत की प्रगति से बेचैन हैं। जैसे-जैसे भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वैश्विक मंच पर शक्तिशाली नेता के रूप में उभर रहे हैं, ये तत्व परेशान हैं।"
बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और भाजपा के राज्यसभा सांसद मनन कुमार मिश्रा ने सेबी के फैसले को निष्पक्ष जांच का परिणाम बताया। उन्होंने कहा, "सेबी ने गहन जांच के बाद अदाणी समूह को क्लीन चिट दी है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में हेरफेर किया गया था, जिसका मकसद कुछ लोगों को बदनाम करना था। अब सब कुछ स्पष्ट हो चुका है।"
उन्होंने आगे कहा कि सेबी की जांच में कोई अनियमितता नहीं हुई और यह पूरी तरह पारदर्शी रही। रिपोर्ट के बाद अब सब कुछ स्पष्ट है और सेबी का फैसला अदाणी समूह के खिलाफ लगाए गए आरोपों को खारिज करता है।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के सांसद प्रफुल्ल पटेल ने भी इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "कुछ लोग बिना सबूत के सालों से अदाणी समूह को निशाना बना रहे हैं। हिंडनबर्ग एक पेड संस्था है, जिसे कुछ लोगों ने अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल किया। यह एक बड़ी साजिश का हिस्सा है, जिसमें कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल झूठ फैलाने में शामिल हैं।"
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने सेबी के फैसले का समर्थन करते हुए कहा, "हमारा लोकतंत्र स्वायत्त संस्थाओं जैसे चुनाव आयोग, न्यायपालिका और संसद को अपने कर्तव्यों का पालन करने की आजादी देता है। सेबी ने दस्तावेजों की गहन समीक्षा के बाद यह निर्णय लिया, जो उनकी जिम्मेदारी है। सेबी ने अपने दायित्वों को पूरी निष्पक्षता के साथ निभाया। मैं इस फैसले का स्वागत करता हूं।"
वहीं, महाराष्ट्र सरकार के मंत्री छगन भुजबल ने भी इस फैसले की सराहना की और कहा, "यह अच्छी बात है कि सही को सही और गलत को गलत कहा गया। सेबी का यह निर्णय निष्पक्षता और पारदर्शिता का प्रतीक है।"