क्या यूएस टैरिफ भारत के इक्विटी मार्केट को प्रभावित करेगा? एचएसबीसी ने न्यूट्रल रेटिंग को बनाए रखा

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क्या यूएस टैरिफ भारत के इक्विटी मार्केट को प्रभावित करेगा? एचएसबीसी ने न्यूट्रल रेटिंग को बनाए रखा

सारांश

क्या अमेरिका के टैरिफ भारत के इक्विटी मार्केट को बाधित कर सकते हैं? एचएसबीसी के नवीनतम रिपोर्ट में बताया गया है कि घरेलू निवेशकों की बढ़ती भागीदारी और अमेरिकी टैरिफ का न्यूनतम प्रभाव भारतीय बाजारों को मजबूती प्रदान कर रहा है। जानें इस रिपोर्ट में और क्या कहा गया है?

Key Takeaways

  • भारत का इक्विटी मार्केट अमेरिकी टैरिफ से प्रभावित नहीं होगा।
  • घरेलू निवेशकों की भागीदारी बढ़ रही है।
  • बीएसई 500 में से 4 प्रतिशत कंपनियां अमेरिकी निर्यात पर निर्भर हैं।
  • सरकारी नीतियों से उपभोग में सुधार हो रहा है।
  • 2025 में आय वृद्धि का अनुमान 8-9 प्रतिशत है।

नई दिल्ली, २ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। वैश्विक चुनौतियों के बावजूद, भारत का इक्विटी मार्केट मजबूती से बना रहेगा। इसका मुख्य कारण घरेलू निवेशकों की बढ़ती भागीदारी और अमेरिकी टैरिफ का न्यूनतम प्रभाव है। यह जानकारी मंगलवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट में सामने आई है।

एचएसबीसी ग्लोबल इन्वेस्टमेंट रिसर्च द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, भारत के प्रति 'न्यूट्रल' दृष्टिकोण को जारी रखा गया है। साथ ही, रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि भारतीय बाजारों के लिए नौ में से पांच जोखिम कारकों में सुधार हो रहा है।

रिसर्च फर्म ने कहा, "टैरिफ से बाजार प्रभावित नहीं होगा, क्योंकि इसका लिस्टेड कंपनियों की आय पर असर बहुत कम है।"

रिपोर्ट में बताया गया है कि बीएसई ५०० कंपनियों में से ४ प्रतिशत से भी कम कंपनियां अमेरिकी निर्यात पर निर्भर हैं। वहीं, फार्मास्युटिकल क्षेत्र को टैरिफ से छूट मिली है, जिससे आय का जोखिम कम हो गया है।

ब्रोकरेज ने कहा कि सरकारी कर प्रोत्साहन और मुद्रास्फीति में कमी के चलते उपभोग की संभावनाएं सुधर रही हैं। इसके साथ ही, यह भी कहा गया कि अधिक सुधार के लिए वेतन वृद्धि में तेजी आनी चाहिए।

बयान में कहा गया, "हालांकि हम इक्विटी को बढ़ावा देने वाले कुछ कारकों में सुधार देख रहे हैं, लेकिन निकट भविष्य में इसमें वृद्धि की संभावना अभी भी सीमित है।"

एचएसबीसी के अनुसार, २०२५ में आय वृद्धि घटकर ८-९ प्रतिशत रहने की उम्मीद है, जबकि कैलेंडर वर्ष २०२५ के लिए आय वृद्धि का अनुमान ११ प्रतिशत है।

ब्रोकरेज ने बताया कि जुलाई में घरेलू म्यूचुअल फंडों में सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के माध्यम से रिकॉर्ड निवेश हुआ। यह भारतीय बाजारों के लिए सबसे मजबूत सहायक कारक है, जिससे विदेशी निवेश कम होने पर भी बाजार मजबूत बने हुए हैं।

एचएसबीसी का अनुमान है कि भारतीय और चीनी दोनों बाजार एक साथ अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं, क्योंकि दोनों ही स्थानीय निवेशकों द्वारा संचालित हैं और विदेशी संस्थानों की भागीदारी सीमित है।

Point of View

हमारा मानना है कि भारतीय इक्विटी बाजार की स्थिरता घरेलू निवेशकों की सक्रियता पर निर्भर करती है। एचएसबीसी की रिपोर्ट से यह स्पष्ट होता है कि बाहरी कारकों के बावजूद, भारतीय बाजार में अवसर मौजूद हैं। हमें इस दिशा में सकारात्मक रहना चाहिए।
NationPress
03/09/2025

Frequently Asked Questions

क्या अमेरिकी टैरिफ का भारत के इक्विटी मार्केट पर कोई असर होगा?
एचएसबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव भारतीय इक्विटी मार्केट पर बहुत कम है।
भारतीय बाजारों में निवेशक कितने सक्रिय हैं?
घरेलू निवेशकों की भागीदारी बढ़ने से भारतीय बाजार मजबूती से बना हुआ है।
क्या सरकार की नीतियों से भारतीय बाजार को फायदा होगा?
सरकारी कर प्रोत्साहन और मुद्रास्फीति में कमी उपभोग की संभावनाएं सुधार रही हैं।
आगामी वर्षों में आय वृद्धि की क्या उम्मीद है?
एचएसबीसी के अनुसार, 2025 में आय वृद्धि 8-9 प्रतिशत रहने की उम्मीद है।
क्या भारतीय और चीनी बाजार समान प्रदर्शन कर सकते हैं?
हाँ, एचएसबीसी का अनुमान है कि दोनों बाजार स्थानीय निवेशकों द्वारा संचालित हैं, जिससे इनका प्रदर्शन समान हो सकता है।