क्या आसाराम और राम रहीम साधु-संत हैं? : कैलाशानंद गिरी

सारांश
Key Takeaways
- धर्म परिवर्तन एक अपराध है।
- आसाराम और राम रहीम साधु-संत नहीं हैं।
- सरकारों को इस मुद्दे पर सख्त कदम उठाने चाहिए।
- सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार जरूरी है।
- जाति से ऊपर उठकर धर्म की बात करनी चाहिए।
रायपुर, 29 जून (राष्ट्र प्रेस)। निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि जबरन धर्म परिवर्तन एक अपराध है। इसके खिलाफ सरकारों को कठोर कदम उठाने चाहिए।
रायपुर में मीडिया से बातचीत के दौरान कैलाशानंद गिरी ने बताया कि छत्तीसगढ़ एक धार्मिक स्थल है। यहां मेरा आना-जाना हमेशा बना रहता है। मैं हमेशा चाहता हूं कि सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार होता रहे।
धर्मांतरण के बढ़ते मामलों पर उन्होंने कहा कि सनातन धर्म सबसे प्राचीन धर्म है। कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी किसी को इसे नहीं छोड़ना चाहिए। जबरन धर्म परिवर्तन करना या कराना अधर्म है। सरकार को इस मुद्दे पर कदम उठाना चाहिए। साधु-संत भी इस पर लगातार प्रयास कर रहे हैं।
कैलाशानंद गिरी ने कहा कि हमें परमात्मा ने धर्म का संदेश घर-घर पहुंचाने के लिए ही भेजा है। हाल ही में प्रयागराज में हुए महाकुंभ में लगभग 67 करोड़ लोग स्नान के लिए आए। इनमें से अधिकांश हिंदू थे। सभी ने सनातन धर्म को समझने की कोशिश की।
हाल ही में उत्तर प्रदेश में एक कथावाचक को उसकी जाति के कारण अपमान का सामना करना पड़ा। इस पर कैलाशानंद गिरी ने कहा कि हमें जाति से ऊपर उठकर धर्म की बात करनी चाहिए। सभी चार वर्णों की उत्पत्ति भगवान विष्णु से हुई है। इसलिए हमें किसी से भी भेदभाव नहीं करना चाहिए। मेरे लिए केवल सनातन ही एकमात्र जाति है। जो सनातन की बात करता है, वह मेरा है, और जो नहीं करता, वह मेरा नहीं है।
कोलकाता में हाल ही में हुए एक सामूहिक बलात्कार के मामले पर उन्होंने कहा कि जहां भी ऐसी घटनाएं हो रही हैं, वहां की सरकार को कड़े कदम उठाने चाहिए। अपराधी चाहे किसी भी धर्म का हो, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
आसाराम, राम रहीम और इनके जैसे लोग धर्म की आड़ में गलत काम कर रहे हैं। डोंगरगढ़ में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें एक बाबा गलत काम में संलिप्त है। इस पर कैलाशानंद गिरी ने कहा कि मैं बार-बार कहता हूं कि आसाराम, राम रहीम या ऐसे अन्य लोग किसी परंपरा से जुड़े नहीं हैं। ये सभी स्वतंत्र हैं। ये किसी अखाड़े से नहीं हैं। मेरा अखाड़ा भारत का सबसे बड़ा अखाड़ा है, जिसमें लाखों साधु हैं। किसी भी साधु से हुई छोटी गलती पर भी उसे निष्कासित कर दिया जाता है। इसलिए जो किसी परंपरा से जुड़े नहीं हैं, उन्हें साधु न कहा जाए।