क्या भारतीय संस्कृति प्रकृति के साथ सामंजस्य को अपनाती है? - सीएम मोहन यादव
सारांश
Key Takeaways
- भारत ने सदियों से प्रकृति का संरक्षण किया है।
- उपभोग आधारित जीवनशैली जलवायु संकट को बढ़ा रही है।
- संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन 2025 में होगा।
- राज्य सरकार हरित क्षेत्र का विस्तार कर रही है।
- स्थानीय सोच को वैश्विक समाधानों से जोड़ने की आवश्यकता है।
भोपाल, 28 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मंगलवार को भोपाल स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय में राज्य नीति एवं योजना आयोग, मध्य प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद तथा एप्को द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित संगोष्ठी को संबोधित किया।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि जहां कई देशों ने अपने लाभ के लिए प्रकृति का दोहन किया है, वहीं भारत ने सदियों से इसका पोषण और संरक्षण किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उपभोग आधारित जीवनशैली जलवायु संकट को बढ़ा रही है, जबकि भारतीय दर्शन उपयोग से पहले संरक्षण पर जोर देता है और योग एवं भोग के बीच सामंजस्य को बढ़ावा देता है, जो इसके वास्तविक सार को दर्शाता है।
इस संगोष्ठी का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन से निपटने में राज्यों की भूमिका पर विचार-विमर्श करना और व्यक्तियों, समाज और सरकारों की सामूहिक भागीदारी के माध्यम से सतत विकास के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करना था।
संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन नवंबर 2025 में ब्राजील में आयोजित किया जाएगा। इसमें जल, जंगल, भूमि, जैव विविधता और मानव जीवन को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।
इस संगोष्ठी से निकले विचारों और सुझावों को ब्राजील सम्मेलन में साझा किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने एक बयान में कहा कि मध्य प्रदेश इस तरह की चर्चा शुरू करने वाला भारत का पहला राज्य है।
'सही तरीके से जीवन जीना' विषय पर आधारित इस सेमिनार में पर्यावरण, जीवनशैली, जलवायु और सतत विकास के बीच संबंधों को मजबूत करने और सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में राज्यों की भूमिका जैसे विषयों पर ध्यान केंद्रित किया गया।
पर्यावरण संरक्षण पर अपने विचार साझा करते हुए सीएम यादव ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण दैनिक जीवन का अभिन्न अंग बनना चाहिए।
उन्होंने कहा, "राज्य सरकार हरित क्षेत्र का विस्तार करने, आर्द्रभूमि का संरक्षण करने, जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने और पर्यावरण अनुकूल उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए लगातार काम कर रही है।"
उन्होंने कहा कि यह सेमिनार मानवता के अस्तित्व, ग्रह के संतुलन और भावी पीढ़ियों की भलाई से गहराई से जुड़ा हुआ है।
उन्होंने स्थानीय सोच को वैश्विक समाधानों से जोड़ने और विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाए रखते हुए प्रगति करने की आवश्यकता पर बल दिया।