क्या बिहार चुनाव में हार के डर से सरकार ने जीएसटी स्लैब में बदलाव किया?

सारांश
Key Takeaways
- कांग्रेस सांसद ने जीएसटी स्लैब में बदलाव को बिहार चुनाव से जोड़ा है।
- भाजपा को आगामी चुनाव में हार की आशंका है।
- आम जनता पर आर्थिक बोझ बढ़ने की संभावना है।
- केंद्र सरकार को नुकसान की भरपाई का तंत्र स्थापित करना चाहिए।
- राजनीतिक मुद्दों को राजनीति में न लाने की आवश्यकता है।
लखनऊ, 4 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस सांसद तनुज पुनिया ने केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी स्लैब में किए गए बदलाव को बिहार विधानसभा चुनाव से जोड़ा है। उन्होंने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि भाजपा को आगामी बिहार चुनाव में हार का डर सताने लगा है।
उन्हें यह एहसास हो गया है कि वे बिहार चुनाव में हारने वाले हैं। इसीलिए, जीएसटी स्लैब में कटौती करने का निर्णय लिया गया है।
उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से हम केंद्र सरकार के जीएसटी स्लैब में बदलाव के निर्णय का स्वागत करते हैं, लेकिन सवाल यह है कि यह निर्णय आठ साल बाद क्यों लिया गया?
कांग्रेस सांसद ने कहा कि हम पिछले आठ वर्षों से सरकार से यह मांग कर रहे थे कि जीएसटी लागू होने से आम जनता को आर्थिक समस्या का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया। अब जब कुछ महीनों में बिहार चुनाव होने वाले हैं, तब यह लोग जीएसटी का मुद्दा उठा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इससे राज्य सरकार को आर्थिक नुकसान होगा। ऐसी स्थिति में, केंद्र सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि राज्य के नुकसान की भरपाई कैसे की जाएगी। इस संबंध में एक तंत्र स्थापित करना चाहिए ताकि आर्थिक नुकसान की भरपाई सुनिश्चित हो सके।
कांग्रेस सांसद ने दावा किया कि इस टैक्स स्लैब से आम जनता पर आर्थिक बोझ पड़ेगा, जबकि कॉरपोरेट सेक्टर को इससे छूट देने की कोशिश की जा रही है।
उन्होंने बिहार के दरभंगा में प्रधानमंत्री मोदी पर की गई अपमानजनक टिप्पणी की निंदा की। सांसद तनुज पुनिया ने कहा कि जिस व्यक्ति ने यह टिप्पणी की, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन इसे राजनीतिक मुद्दा बनाना सही नहीं है।