क्या भाजपा के नेताओं को खेल और ऑपरेशन सिंदूर के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता है?

सारांश
Key Takeaways
- खेल और ऑपरेशन सिंदूर के बीच संतुलन का मुद्दा उठाया गया है।
- प्रधानमंत्री मोदी के बयानों में संगति की आवश्यकता है।
- नेपाल की स्थिति पर चिंता व्यक्त की गई है।
नई दिल्ली, ११ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। एशिया कप में भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैच पर कांग्रेस नेता उदित राज ने भाजपा पर हमला किया। उन्होंने यह सवाल उठाया कि भाजपा के नेताओं को यह स्पष्ट करना चाहिए कि खेल और ऑपरेशन सिंदूर एक साथ कैसे चल सकते हैं?
कांग्रेस नेता ने कहा कि जब केंद्र सरकार का कहना है कि ऑपरेशन सिंदूर अभी समाप्त नहीं हुआ है, तो भारत-पाकिस्तान का मैच कैसे आयोजित हो रहा है। उन्होंने सवाल किया कि ऑपरेशन सिंदूर और खेल एक साथ कैसे संभव हैं।
राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कांग्रेस नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते। सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया गया है। मीडिया में यह खबर आ रही है कि पाकिस्तान पानी की बूंद-बूंद के लिए तरस रहा है, फिर भी सरकार ने इस मैच पर रोक नहीं लगाई। भाजपा के नेताओं को बताना चाहिए कि क्या ऑपरेशन सिंदूर और क्रिकेट एक साथ चल सकते हैं?
उन्होंने भाजपा से पूछा कि जब वे अपने भाषणों में पाकिस्तान के साथ टकराव की बात करते हैं, तो क्या वे पर्दे के पीछे दोस्ती कर रहे हैं?
पीएम मोदी द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत की प्रशंसा पर कांग्रेस नेता ने कड़ा प्रहार किया। उनका कहना था कि आरएसएस ने कभी भी दलितों और पिछड़ों के लिए काम नहीं किया। वर्तमान सरकार में दलितों और पिछड़ों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। पहले वे इस तरह के पोस्ट क्यों नहीं करते? भाजपा और संघ में खटास है, और इसे दूर करने के लिए ही यह प्रशंसा की जा रही है। वर्तमान में भाजपा बार-बार अध्यक्ष पद के कार्यकाल को बढ़ा रही है। इसके अलावा, पीएम मोदी को बताना चाहिए कि नेताओं के रिटायरमेंट के लिए जो फॉर्मूला उन्होंने तैयार किया है, उसे कब लागू करेंगे।
नेपाल में जारी हिंसा पर कांग्रेस नेता ने कहा कि हमारे देश में लोकतंत्र की जड़ें मजबूत हैं। हमारा संविधान संतुलित है और लोकतंत्र बहुत पुराना है। नेपाल राजतंत्र से सीधे लोकतंत्र में आया है, इसलिए वहां उथल-पुथल हो रही है। राजशाही के कारण, लोकतंत्र पूरी तरह विकसित नहीं हो पाया है। कई प्रधानमंत्री बदल चुके हैं, और नेपाल अस्थायी दौर से गुजर रहा है। वहां वंचित वर्गों के कारण ऐसी परिस्थितियाँ बन रही हैं।
उन्होंने कहा कि भारत में नेपाल जैसी स्थिति उत्पन्न नहीं हो सकती है, क्योंकि भारत में संविधान मजबूत है।