क्या चुनाव आयोग ने बिहार में एनडीए की जीत में भूमिका निभाई? : सपा सांसद जिया उर रहमान बर्क
सारांश
Key Takeaways
- चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं।
- एनडीए को प्रचंड जीत मिली है।
- सपा सांसद जिया उर रहमान बर्क ने गंभीर आरोप लगाए हैं।
- मतदाता के अधिकारों की रक्षा की आवश्यकता है।
- भविष्य में एसआईआर के माध्यम से नाम काटने पर रोक लगानी चाहिए।
संभल, 14 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए को एक अत्यंत प्रभावशाली जीत प्राप्त हुई है। दूसरी ओर, समाजवादी पार्टी के सांसद जिया उर रहमान बर्क ने आरोप लगाया है कि चुनाव आयोग ने एनडीए की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
सांसद जिया उर रहमान बर्क ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए कहा कि बिहार में एनडीए की सरकार के गठन में सबसे बड़ा योगदान चुनाव आयोग का है, क्योंकि उसने मतदान के समय एसआईआर लागू कर एनडीए की सहायता की। इससे बिहार की जनता अपने वोट का सही ढंग से उपयोग नहीं कर पाई, जिसका सीधा लाभ एनडीए को मिला।
उन्होंने कहा कि हर विधानसभा क्षेत्र में 10 से 15 हजार लोगों के नाम एसआईआर के तहत काटे गए हैं, जिससे ये लोग मतदान नहीं कर सके। इतनी बड़ी संख्या विधानसभा चुनाव में प्रभाव डालती है। चुनाव आयोग ने जिस प्रकार से एनडीए का समर्थन किया है, उससे यह स्पष्ट होता है कि बिहार में चुनाव कैसे जीते गए।
सांसद जिया उर रहमान बर्क ने कहा कि मैं सभी राजनीतिक दलों से अनुरोध करता हूं कि सभी लोग हार का विश्लेषण करें ताकि यह समझ सकें कि गलती कहां हुई और कैसे बिहार चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। मैं जनता से अपील करता हूं कि भविष्य में एसआईआर के माध्यम से किसी का नाम न काटा जाए और इसका लाभ भाजपा को न मिले।
उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी बीएलओ के संपर्क में है ताकि हमारे किसी कार्यकर्ता का नाम एसआईआर के तहत न काटा जाए और चुनाव आयोग एनडीए का समर्थन न कर सके। हमारा प्रयास है कि जैसे बिहार में एसआईआर के जरिए वोटों की कटौती हुई है, वैसा उत्तर प्रदेश में न हो।
बिहार चुनाव के दौरान लोकसभा नेता प्रतिपक्ष और सांसद राहुल गांधी के दौरे पर सांसद जिया उर रहमान बर्क ने कुछ भी कहने से इनकार करते हुए कहा कि इस विषय में कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता ही जानकारी दे सकते हैं। कुछ कारण रहे होंगे तभी वे विदेश गए।