क्या चुनावों का बहिष्कार सही है? तेजस्वी के निर्णय पर मुकेश सहनी का समर्थन

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क्या चुनावों का बहिष्कार सही है? तेजस्वी के निर्णय पर मुकेश सहनी का समर्थन

सारांश

बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के चुनाव बहिष्कार के इरादे पर मुकेश सहनी ने समर्थन जताया है। इस विषय पर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। क्या यह निर्णय सही है? जानिए पूरी कहानी में।

Key Takeaways

  • तेजस्वी यादव का चुनाव बहिष्कार का निर्णय राजनीतिक हलचल का कारण बना।
  • मुकेश सहनी ने तेजस्वी का समर्थन किया और चुनाव आयोग पर सवाल उठाए।
  • चुनाव लोकतंत्र का अहम हिस्सा हैं, लेकिन निष्पक्षता आवश्यक है।
  • डॉ. अंबेडकर ने संविधान के माध्यम से वोट देने का अधिकार दिया।
  • गरीबों के लिए वोट का अधिकार उनकी सबसे बड़ी दौलत है।

पटना, २५ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बिहार चुनावों को बॉयकॉट करने का इशारा किया है। उनके इस बयान पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं तीव्र हो गई हैं। विकासशील इंसानी पार्टी (वीआईपी) के संयोजक मुकेश सहनी ने शुक्रवार को तेजस्वी यादव के फैसले का समर्थन किया।

वीआईपी संयोजक ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, "हमारे छोटे भाई तेजस्वी यादव बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष और राष्ट्रीय समन्वयक समिति के अध्यक्ष हैं। वे जो निर्णय लेंगे, हम उसके साथ जाएंगे। चुनाव आयोग को समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए। चुनाव लोकतंत्र का महापर्व है। जनता पांच वर्षों के लिए सरकार चुनती है, लेकिन यदि चुनाव आयोग पक्षपात करके किसी पार्टी को सरकार में लाने का प्रयास करेगा, तो यह लोकतंत्र की हत्या है। इससे अच्छी बात है कि देश में चुनाव ही न हों।"

उन्होंने आगे कहा, "चुनाव कराने में देश का करोड़ों, अरबों रुपये खर्च होते हैं, लेकिन यह किसी नेता का पैसा नहीं है। यह देश की जनता का पैसा है, जिस पर भारत के हर नागरिक का अधिकार है। यदि इस पैसे का दुरुपयोग किया जाएगा, तो इससे अच्छी बात है कि चुनाव ही न हों। डॉ. भीमराव अंबेडकर ने संविधान बनाकर देश के सभी गरीब, वंचित, पीड़ित और दलितों को वोट देने का अधिकार दिया। पहले राजशाही परंपरा में राजा का बेटा अगला राजा होता था, लेकिन अंबेडकर जी ने देश में लोकतंत्र की स्थापना की और लोगों को मतदान की शक्ति दी। खासकर गरीबों को यह शक्ति मिली कि वे वोट के माध्यम से किसी को भी अपना नेता बना सकते हैं। ऐसे में देश के गरीबों के पास वोट का अधिकार उनकी सबसे बड़ी दौलत है। इसके बिना वे जीरो हैं।

गौरतलब है कि इससे पहले तेजस्वी यादव ने राष्ट्र प्रेस से खास बातचीत में चुनाव आयोग पर निष्पक्ष चुनाव न कराने का आरोप लगाया था और आगामी बिहार चुनाव के बहिष्कार का संकेत भी दिया था।

Point of View

यह स्पष्ट है कि चुनावों का बहिष्कार लोकतांत्रिक प्रक्रिया की मजबूती को कमजोर कर सकता है। सभी पक्षों को निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए प्रयास करना चाहिए। जनता का अधिकार और लोकतंत्र की रक्षा आवश्यक है।
NationPress
04/08/2025

Frequently Asked Questions

क्या तेजस्वी यादव का चुनाव बहिष्कार सही है?
यह मुद्दा विभिन्न दृष्टिकोणों से देखने योग्य है। कुछ लोग इसे लोकतंत्र की हत्या मानते हैं जबकि अन्य इसे सही ठहराते हैं।
मुकेश सहनी ने तेजस्वी यादव के फैसले पर क्या कहा?
मुकेश सहनी ने कहा कि वे तेजस्वी यादव के निर्णय के साथ हैं और चुनाव आयोग के पक्षपाती रवैये की आलोचना की।