क्या सच में शशि थरूर का कहना सही है, कि कांग्रेस परिवारवाद से बाहर नहीं आई?
सारांश
Key Takeaways
- शशि थरूर का बयान परिवारवाद पर महत्वपूर्ण है।
- भाजपा ने परिवारवाद के खिलाफ अपनी स्थिति स्पष्ट की है।
- भारतीय राजनीति में विचारशीलता की कमी है।
- योग्यता आधारित प्रणाली की आवश्यकता है।
- परिवारवाद से निपटने के लिए सुधार जरूरी हैं।
भोपाल, 4 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस के सांसद शशि थरूर द्वारा कांग्रेस और परिवारवाद से संबंधित दिए गए बयान पर भाजपा की मध्य प्रदेश इकाई के अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने कहा कि यह सत्य है कि कांग्रेस अब तक परिवारवाद से बाहर नहीं निकल पाई है।
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष खंडेलवाल ने संवाददाताओं से बातचीत के दौरान कहा कि शशि थरूर कांग्रेस के सांसद हैं, उनके पास अनुभव है, और उन्होंने जो कहा है वह सत्यता को दर्शाता है। उनका यह कहना सही है कि कांग्रेस एक ही परिवार के इर्द-गिर्द सिमटी हुई है। जब तक किसी दल में विचारशील लोगों का समावेश नहीं होगा, तब तक उसकी विचारधारा मजबूत नहीं हो सकती।
उन्होंने आगे कहा कि भाजपा देश में हर जगह मौजूद है जबकि कांग्रेस सिमटती जा रही है, क्योंकि उनके पास न तो ठोस विचार हैं और न ही कोई स्पष्ट सोच; वे एक ही विचारधारा के तहत चलते हैं। शशि थरूर ने अपने लेख में स्पष्ट किया, "भारत में राजनीति परिवार व्यवसाय बन गई है। जब तक राजनीति परिवारों के चारों ओर घूमती रहेगी, तब तक लोकतांत्रिक सरकार का असली मतलब नहीं निकल पाएगा।"
थरूर ने परिवारवाद पर सीधा हमला करते हुए यह भी कहा कि अब समय आ गया है कि भारत को वंशवाद (परिवारवाद) को छोड़कर योग्यता आधारित प्रणाली अपनानी चाहिए। इसके लिए कानूनी रूप से निर्धारित कार्यकाल, आंतरिक पार्टी चुनाव, और मतदाताओं को जागरूक करने जैसे मूलभूत सुधार आवश्यक हैं।
भाजपा लगातार कांग्रेस पर परिवारवाद का आरोप लगाती रही है, और थरूर के बयान ने इस आरोप को और मजबूती प्रदान की है। कांग्रेस की राजनीति में केवल गांधी परिवार ही नहीं, बल्कि कई नेताओं के बच्चे भी सक्रिय हैं। वहीं भाजपा अपने आप को परिवारवाद से दूर रखने का प्रयास करती है।