क्या जीएसटी 2.0 में बदलाव से सियासत गर्माएगी? भाजपा ने कहा ऐतिहासिक, सपा ने उठाए सवाल

सारांश
Key Takeaways
- जीएसटी में सुधार से वित्तीय संसाधनों का प्रवाह बढ़ेगा।
- मध्यम वर्ग और गरीबों को सीधी मदद मिलेगी।
- सपा ने जनता के मुद्दों को उठाते हुए सरकार पर प्रश्न उठाए हैं।
- जीएसटी का स्लैब और दरें बदलने से आर्थिक सुधार की उम्मीद है।
- राजनीतिक बहस ने जनहित को सामने लाने का काम किया है।
लखनऊ, 4 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक में किए गए सुधारों को लेकर राजनीति तेज हो गई है। भाजपा ने इस निर्णय को जनहित में बताया है, जबकि सपा ने जीएसटी स्लैब पर प्रश्न उठाए हैं। उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि इस फैसले से हर क्षेत्र को गति और ऊर्जा मिलेगी।
मंत्री जयवीर सिंह ने जीएसटी की दरों में बदलाव पर राष्ट्र प्रेस से बात करते हुए कहा, "मैं केंद्र सरकार, प्रधानमंत्री मोदी और वित्त मंत्री का आभार व्यक्त करता हूं, जिन्होंने जनहित, राष्ट्रहित, मध्यमवर्ग और गरीबों के हित में यह बड़ा निर्णय लिया है। रोजमर्रा की जरूरत की चीजें, जन-उपयोगी वस्तुएं, किसानों के काम आने वाले सामान और इस तरह की बुनियादी वस्तुओं पर जीएसटी को कम करने या खत्म करने का निर्णय एक नई वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराएगा। इससे गरीबों को सीधी मदद मिलेगी।"
उन्होंने आगे कहा, "मैं मानता हूं कि जीएसटी स्लैब में बदलाव देशहित में लाभकारी सिद्ध होगा। केंद्र सरकार ने दीवाली से पहले गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों को बड़ा तोहफा दिया है। चाहे एमएसएमई क्षेत्र हो या वित्तीय संसाधनों का प्रवाह, इस फैसले से दोनों को नई गति और ऊर्जा मिलेगी।"
मंत्री जयवीर सिंह ने कहा, "हम हिसाब दे रहे हैं। जो वित्तीय संसाधन उपलब्ध हुए, टैक्सेशन में जो लीकेज रोके गए और चोरी पर नियंत्रण हुआ, उसका परिणाम है कि एकसमान टैक्सेशन व्यवस्था से भारत की मुद्रा भंडार बढ़ी। टैक्सेशन से जो पैसा आया, उससे विकास के काम तेज हुए और देश की प्रगति का मार्ग प्रशस्त हुआ।"
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता फखरुल हसन चांद ने जीएसटी की दरों में बदलाव पर राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "मैं पूछता हूं कि देश में आटे, तेल और चावल का भाव क्या है? आखिर शैंपू से किसका पेट भरता है? पेट्रोल और डीजल जीएसटी के दायरे में कब आएगा? एक समय था जब भाजपा जीएसटी का विरोध करती थी। आज वे जीएसटी में सुधार की बात करते हैं। मुझे लगता है कि जीएसटी का टैक्स आम जनता से वसूला जाता है। भाजपा ने सिर्फ महंगाई बढ़ाने का काम किया है और जीएसटी पर अपनी पीठ थपथपाने का काम किया है। जनता 'मन की बात' सुनना नहीं बल्कि कहना चाहती है। प्रधानमंत्री को जनता के 'मन की बात' सुननी चाहिए।"