क्या केंद्र सरकार ने सांप्रदायिक छल को समावेशी सशक्तीकरण के बल से ध्वस्त किया? : मुख्तार अब्बास नकवी

सारांश
Key Takeaways
- मोदी सरकार ने ११ वर्षों में विकास कार्य किए हैं।
- सांप्रदायिक छल को समावेशी सशक्तीकरण के माध्यम से ध्वस्त किया गया है।
- राजनीतिक लाभ के लिए सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का प्रयास होता है।
- कांग्रेस का शासन काल विवादास्पद रहा है।
- हिंदी एक शालीन भाषा है, जिसकी गरिमा को बनाए रखना आवश्यक है।
नई दिल्ली, 8 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के बीच अल्पसंख्यक मुद्दे पर छिड़ी जुबानी जंग में मुख्तार अब्बास नकवी ने अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने पिछले ११ वर्षों में सांप्रदायिक छल को समावेशी सशक्तीकरण के माध्यम से ध्वस्त किया है।
नकवी ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में समाज के अंतिम पंक्ति के व्यक्ति के समग्र विकास की दिशा में काम किया जा रहा है। हमारी सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि कोई भी व्यक्ति विकास से वंचित न रहे। हालांकि, चुनाव के नजदीक सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का प्रयास देखने को मिलता है।
उन्होंने कहा कि राजनीतिक लाभ के लिए सत्ता के सौदागरों का संग्राम तुरंत शुरू हो जाता है, और यह स्वीकार किया जा सकता है कि यही वे लोग हैं, जिन्होंने मुसलमानों और अल्पसंख्यकों के हितों के लिए कोई काम नहीं किया। इन लोगों ने अल्पसंख्यकों का सिर्फ अपने राजनीतिक लाभ के लिए उपयोग किया है, जिसे किसी भी हाल में स्वीकार नहीं किया जा सकता।
नकवी ने कहा कि मुझे यह कहने में संकोच नहीं है कि ये वही लोग हैं जिन्होंने कभी भी विकास के कार्य नहीं किए हैं। लेकिन, वोट बैंक के लिए काम किया है। अब समय आ गया है कि ऐसे धोखेबाजों को समाप्त किया जाए। यदि हमने इन्हें समय पर नहीं हटाया, तो ये लोग फिर से धौंस दिखाते हुए नजर आएंगे।
नकवी ने इमरान मसूद के 'वक्फ संशोधन कानून' को समाप्त करने के बयान पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि इमरान मसूद को इस काम के लिए १०० साल और लगेंगे। कांग्रेस ने पिछले ५० वर्षों में जिस प्रकार से देश को लूटने का काम किया है, उसका प्रायश्चित अगले १०० वर्षों तक करना होगा।
कांवड़ यात्रा पर नकवी ने कहा कि कुछ लोग मुहर्रम को लेकर सवाल उठा रहे थे, लेकिन सब कुछ शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ। कांवड़ यात्रा भी अच्छे से होगी। उन्होंने कांग्रेस द्वारा निर्वाचन आयोग पर उठाए गए सवालों को लेकर कहा कि हमारी भी कुछ शिकायतें थीं, लेकिन हमने कभी भी चुनाव आयोग के प्रति जनता में भय पैदा करने की कोशिश नहीं की।
नकवी ने हिंदी और मराठी भाषा पर चल रही बहस पर कहा कि हिंदी एक शालीन भाषा है। ऐसी सुंदर भाषा के प्रति असहिष्णुता उचित नहीं है। निश्चित रूप से क्षेत्रीय भाषाओं की भी अपनी गरिमा है, लेकिन हिंदी को हिकारत की नजर से देखना गलत है।