क्या मध्य प्रदेश में किसान विरोधी आदेश की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए?

सारांश
Key Takeaways
- दिग्विजय सिंह ने किसान विरोधी आदेश की जांच की मांग की है।
- आदेश के तहत अवैध बीजों को मान्यता दी गई है।
- किसानों की भलाई के लिए स्पष्ट नीति की आवश्यकता है।
- बीज गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए कार्रवाई होनी चाहिए।
- राष्ट्रीय बीज नीति का उल्लंघन किया गया है।
भोपाल, 30 जून (राष्ट्र प्रेस) - मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री मोहन यादव को एक पत्र लिखकर किसान विरोधी आदेश जारी करने का आरोप लगाया है और उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है।
दिग्विजय सिंह ने अपने पत्र में उल्लेख किया कि मध्य प्रदेश में बीज प्रमाणीकरण संस्था द्वारा जारी आदेश (क्रमांक 856) के तहत बीज उत्पादन के लिए तकनीकी और वैधानिक मानकों का उल्लंघन किया गया है। इस आदेश के माध्यम से, पहले जो बीज की श्रेणी अवैध मानी जाती थी, उसे अब मान्यता दी गई है, जिससे किसानों और बीज की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है।
उन्होंने कहा कि इस आदेश के कारण बीज गुणवत्ता और किसान हितों को गंभीर नुकसान पहुँचेगा। दिग्विजय सिंह ने आग्रह किया है कि इस आदेश की उच्च स्तरीय तकनीकी और प्रशासनिक जांच की जाए, ताकि बीज प्रमाणीकरण संस्था की कार्यप्रणाली को पारदर्शी और उत्तरदायी बनाया जा सके। साथ ही, दोषी अधिकारियों और निजी संस्थाओं के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
उन्होंने यह भी अनुरोध किया कि किसानों को गुणवत्ता युक्त प्रमाणिक बीज सुनिश्चित करने के लिए स्पष्ट नीतिगत निर्देश जारी किए जाएं।
दिग्विजय सिंह ने मध्य प्रदेश की कृषि सलाहकार परिषद के पूर्व सदस्य केदार सिरोही द्वारा साझा की गई जानकारी का उल्लेख करते हुए बताया कि साथी पोर्टल पर पहले अवैध माने जाने वाले बीज को अब मान्यता दी गई है, जबकि एफ-दो श्रेणी से उत्पादित सी-एक बीज से अगली पीढ़ी का बीज उत्पादन पूरी तरह से अवैध है। यह आदेश राष्ट्रीय बीज नीति का उल्लंघन करता है और निजी कंपनियों को अनुचित लाभ पहुँचाने का प्रयास है।