क्या कांग्रेस नेता हुसैन दलवई ने महाराष्ट्र में निकाय चुनाव स्थगित करने पर कड़ा ऐतराज जताया?
सारांश
Key Takeaways
- स्थानीय निकाय चुनावों की तारीख स्थगित करना विवादास्पद है।
- हुसैन दलवई ने चुनाव आयोग के कामकाज पर सवाल उठाए हैं।
- सरकार द्वारा स्वतंत्र संस्थाओं को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है।
- राजनीति में गड़बड़ी की आशंका बढ़ गई है।
- कांग्रेस नेता ने सेना पर दबाव वाले बयान का समर्थन किया है।
मुंबई, 2 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस के प्रमुख नेता हुसैन दलवई ने महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों की तिथि को आगे बढ़ाने के निर्णय पर कड़ी आपत्ति प्रकट की। उन्होंने कहा कि यह निर्णय गलत है। दलवई ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग सरकार के इशारों पर काम कर रहा है।
हुसैन दलवई ने मंगलवार को राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि महाराष्ट्र में निकाय चुनावों का स्थगन एक गलत निर्णय है। सरकार स्वतंत्र संस्थाओं को समाप्त करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने चिंता व्यक्त की कि जिस प्रकार चुनावों की तारीख बढ़ाई गई है, उससे गड़बड़ी की संभावनाएं बढ़ गई हैं।
उन्होंने कहा, "महाराष्ट्र की सरकार से लोग निराश हो चुके हैं। सत्ताधारी पार्टियों के बीच भी विवाद की स्थिति बनी हुई है। इसलिए ऐसा लगता है कि चुनाव में गड़बड़ी करने के लिए तारीख को बढ़ाया गया है।"
दलवई ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत के उस बयान को भी खारिज किया, जिसमें उन्होंने कहा था, 'क्या घुसपैठियों के लिए रेड कार्पेट बिछाएं?' दलवई ने कहा, "यदि भाजपा-आरएसएस के नेता की तरह मुख्य न्यायाधीश भी ऐसा कहते हैं, तो यह अनुचित है।"
इस बीच, हुसैन दलवई ने कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी के ‘सेना पर दबाव’ वाले बयान का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि सरकार सेना के अधिकारियों पर दबाव डालकर अपनी बात मनवाने की कोशिश कर रही है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार के पास एक अवसर था, लेकिन उसने उस समय कुछ नहीं किया। तीन दिन बाद डोनाल्ड ट्रंप के कहने पर आप पीछे हट गए। अब आपको मौका नहीं मिलने वाला।
हुमायूं कबीर के ‘बाबरी मस्जिद’ वाले बयान को हुसैन दलवई ने राजनीति से प्रेरित बताया। उन्होंने कहा, "बाबरी मस्जिद के नाम पर मुसलमानों को भड़काना पूरी तरह से गलत है। मुर्शिदाबाद में बाबर के नाम से मस्जिद बनाने की बात करना और 6 दिसंबर की तिथि निर्धारित करना, यह केवल वोट की नीति है।"