क्या मुसलमानों को उनके मौलिक अधिकार से वंचित करने का प्रयास किया जा रहा है?: अख्तरुल ईमान

सारांश
Key Takeaways
- मुसलमानों के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा जरूरी है।
- भाजपा पर साम्प्रदायिक वोटों को एकजुट करने का आरोप।
- सीएम योगी के खिलाफ उठ रहे सवाल।
- लोकतंत्र की नींव है सभी समुदायों का सम्मान।
- अभिव्यक्ति की आज़ादी पर राजनीतिक दलों का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए।
किशनगंज, 11 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन (एआईएमआईएम) के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने शनिवार को उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ पर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि भाजपा मुसलमानों को निशाना बनाकर सांप्रदायिक वोटों को एकजुट करने की कोशिश कर रही है।
बिहार में चुनावी रैली में भाग लेते हुए अख्तरुल ईमान ने कहा कि उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति बेहद खराब है। वहां न तो लोकतंत्र सुरक्षित है और न ही कानून का शासन। यूपी सरकार अदालत के आदेशों का पालन नहीं कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि जब तक कोर्ट का आदेश नहीं आता, तब तक बुलडोजर का उपयोग नहीं किया जा सकता, लेकिन सीएम अदालत के फैसले का भी सम्मान नहीं कर रहे हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि सीएम योगी आदित्यनाथ मुसलमानों को निशाना बनाकर साम्प्रदायिक वोटों को एकत्रित करने की कोशिश कर रहे हैं। बड़े-बड़े मुस्लिम नेताओं को चुन-चुन कर निशाना बनाया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि हमारे धर्मगुरु तौकीर रजा को इसीलिए टारगेट किया जा रहा है, क्योंकि उन्होंने प्रोफेट मुहम्मद के प्रति अपार प्रेम और मोहब्बत का संदेश दिया। सीएम योगी द्वारा मुसलमानों को उनके फंडामेंटल राइट से वंचित करने का प्रयास किया जा रहा है।
इससे पहले, महाराष्ट्र के अहिल्यानगर जिले में 'आई लव मोहम्मद' विवाद के कारण उत्पन्न हुई स्थिति पर एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा था कि राज्य में बिगड़े माहौल के लिए भाजपा जिम्मेदार है, जो अपने राजनीतिक हितों के लिए ऐसे हालात पैदा करती है।
ओवैसी ने 'आई लव मोहम्मद' विवाद पर कहा कि देश में लगभग 98 प्रतिशत लोग किसी एक धर्म का पालन करते हैं और इसे प्यार या सम्मान के साथ व्यक्त करना सामान्य है। उन्होंने यह सवाल उठाया कि यदि कोई इसे प्यार से व्यक्त करता है, तो इस पर नफरत या हिंसा की धारणा क्यों बनाई जाती है।
उन्होंने यह भी कहा कि किसी व्यक्ति की अभिव्यक्ति की आज़ादी पर राजनीतिक दलों को निर्णय लेने का अधिकार नहीं होना चाहिए। क्या अब भाजपा तय करेगी कि किसे 'लव' लिखना है और किसे नहीं?