क्या पीएम मोदी के नेतृत्व से नेपाल प्रभावित है? : मलूक नागर

सारांश
Key Takeaways
- नेपाल भारत का पड़ोसी देश है और दोनों देशों के बीच अच्छे संबंध जरूरी हैं।
- मलूक नागर ने पीएम मोदी के नेतृत्व की सराहना की।
- राजनीतिक स्थिरता के लिए नीतियों का सही होना आवश्यक है।
- पटना में राजद नेता की हत्या पर गंभीर जांच चल रही है।
- नेपाल की वर्तमान स्थिति पर ध्यान देना बेहद जरूरी है।
नई दिल्ली, 11 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) के नेता मलूक नागर ने नेपाल में चल रहे जेन-जी प्रदर्शनों और बिहार के पटना में राजद नेता की हत्या पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि नेपाल एक पड़ोसी देश है और वहां के लोग भारत और पीएम मोदी के नेतृत्व से बहुत प्रभावित हैं।
नेपाल के जेन-जी प्रदर्शनों पर मलूक नागर ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "नेपाल की वर्तमान स्थिति के बारे में कई सवाल उठ रहे हैं। सरकार की नीतियों पर चर्चा, सोशल मीडिया पर प्रतिबंध और युवाओं को भड़काने वाले तत्वों के बारे में बात करना अनिवार्य है। लेकिन, असली मुद्दा किसी भी देश की आर्थिक स्थिति है। वैश्विक स्तर पर किसी देश की स्थिति, उसकी प्रतिष्ठा और विदेशी निवेश की मात्रा, यही असली मापदंड है।"
उन्होंने विपक्ष पर भी निशाना साधते हुए कहा, "इंडिया गठबंधन के लोग बांग्लादेश, श्रीलंका और पाकिस्तान के हालात पर बात कर रहे हैं। मैं उनसे पूछता हूं कि भारत का पड़ोसी मुल्क चीन की स्थिति पर उन्होंने क्यों ध्यान नहीं दिया? 2004 से 2014 तक यूपीए की सरकार थी, उस समय मनमोहन सिंह ने कहा था कि हम 2040 तक भारत को दुनिया की चौथी अर्थव्यवस्था बनाएंगे। यह काम पीएम मोदी ने 2024 में कर दिखाया है। हालिया टैरिफ वॉर से यह साफ है कि भारत और भी मजबूती से उभरेगा।"
मलूक नागर ने आगे कहा, "नेपाल में जो भी नई सरकार आएगी, उसे ऐसी नीतियाँ बनानी होंगी कि भारत के साथ तालमेल बैठाया जा सके ताकि वहां स्थिरता आ सके। नेपाल हमारा पड़ोसी देश है, और वहां के लोग भारत और पीएम मोदी के नेतृत्व से बहुत प्रभावित हैं।"
आरएलडी नेता मलूक नागर ने पटना में राजद नेता की हत्या पर भी बात की। उन्होंने कहा, "चर्चाएं हैं कि चुनाव नजदीक हैं और क्या इंडी गठबंधन के सदस्यों ने ही इस हमले की योजना बनाई थी? लेकिन सरकार इस मामले को लेकर गंभीर है और जांच चल रही है। जांच का परिणाम सच्चाई को सामने लाएगा और दोषियों को सजा दी जाएगी। यह वह समय नहीं है जब चुनाव में सहानुभूति हासिल करने के लिए ऐसी घटनाएं होती थीं।"