क्या पीएम मोदी के खिलाफ अपमानजनक भाषा के उपयोग पर कड़ी सजा होनी चाहिए?

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क्या पीएम मोदी के खिलाफ अपमानजनक भाषा के उपयोग पर कड़ी सजा होनी चाहिए?

सारांश

शिवसेना (यूबीटी) प्रवक्ता आनंद दुबे ने बिहार में पीएम मोदी के खिलाफ की गई अपमानजनक टिप्पणी की निंदा की। उन्होंने कहा कि ऐसी भाषा का प्रयोग लोकतंत्र की मर्यादा का उल्लंघन है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

Key Takeaways

  • आनंद दुबे ने अपमानजनक टिप्पणी की निंदा की।
  • ऐसी भाषा लोकतांत्रिक मर्यादा का उल्लंघन है।
  • सरकार की जीएसटी नीति पर सवाल उठाए गए।
  • महायुति सरकार पर मराठा आरक्षण में विफलता का आरोप।
  • राजनीतिक सम्मान की आवश्यकता पर बल दिया।

मुंबई, 4 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। शिवसेना (यूबीटी) के प्रवक्ता आनंद दुबे ने बिहार के दरभंगा में 'वोटर अधिकार यात्रा' के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ की गई अपमानजनक टिप्पणी की कड़ी निंदा की है। उन्होंने इसे अस्वीकृत बताते हुए कहा कि ऐसी भाषा लोकतांत्रिक मर्यादा का उल्लंघन है और दोषी के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

राष्ट्र प्रेस से बातचीत में दुबे ने कहा कि केवल पीएम मोदी ही नहीं, बल्कि किसी भी नेता का अपमान नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि राजनीति में कई मुद्दे हैं, लेकिन किसी के खिलाफ गलत शब्दों का प्रयोग नहीं होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि जो भी दोषी है, उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई होनी चाहिए। राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने इस मामले में अपनी व्यथा व्यक्त की है, मुझे नहीं लगता कि इस मामले को अधिक तूल देने की आवश्यकता है। बिहार बंद के बाद सुचारू रूप से कार्य होगा, ऐसी आशा की जा रही है।

जीएसटी सुधारों पर उन्होंने केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि जीएसटी लागू होने के समय 28 प्रतिशत, 18 प्रतिशत, 12 प्रतिशत और 5 प्रतिशत की दरें थीं, लेकिन अब सरकार ने 12 प्रतिशत और 28 प्रतिशत स्लैब को हटाकर केवल 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत की दरें बनाए रखी हैं। दुबे ने आरोप लगाया कि विपक्ष, विशेष रूप से राहुल गांधी, ने शुरू से ही 28 प्रतिशत की ऊंची दर को जनता पर बोझ बताते हुए चेतावनी दी थी, लेकिन सरकार ने 8-9 साल तक इस पर कोई ध्यान नहीं दिया।

उन्होंने कहा कि सरकार ने इस दौरान नागरिकों से भारी कर वसूला और अब बिहार विधानसभा चुनावों से ठीक पहले जीएसटी दरों में बदलाव की घोषणा की है।

दुबे ने इस देरी को सरकार की उदासीनता और जनता की चिंताओं के प्रति असंवेदनशीलता का प्रतीक बताया है।

उन्होंने कहा कि बिहार चुनाव जीतना है, इसीलिए नई जीएसटी दरें लाई गई। सरकार की अर्थनीति विफल है और जीएसटी से लोगों को परेशानी हुई है, जीएसटी बदलाव को जनता भी समझ रही है।

आनंद दुबे ने महायुति सरकार पर मराठा आरक्षण और ओबीसी समाज की नाराजगी के मुद्दों को संभालने में विफलता का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि सरकार हर मुश्किल समय में नाकाम रही है। उन्होंने विशेष रूप से महायुति सरकार के मंत्री छगन भुजबल की नाराजगी का जिक्र किया।

दुबे ने यह भी कहा कि मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे के दबाव में सरकार ने जल्दबाजी में सरकारी आदेश (जीआर) जारी किया, जिसका उद्देश्य जरांगे के आंदोलन को समाप्त करना था। हालांकि, इस जीआर से कितना लाभ या नुकसान होगा, इस पर अभी चर्चा होनी बाकी है।

उन्होंने कहा कि महायुति सरकार दोनों समुदायों मराठा और ओबीसी के हितों को संतुलित करने में असमर्थ रही है, जिसके परिणामस्वरूप सामाजिक और राजनीतिक अस्थिरता बढ़ रही है।

Point of View

हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि राजनीतिक भाषा का स्तर ऊँचा रहे। अपमानजनक टिप्पणियाँ लोकतंत्र की संस्थाओं को कमजोर करती हैं। सभी नेताओं को एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए।
NationPress
04/09/2025

Frequently Asked Questions

आनंद दुबे ने पीएम मोदी के खिलाफ क्या कहा?
आनंद दुबे ने पीएम मोदी के खिलाफ की गई अपमानजनक टिप्पणी की निंदा की और इसे लोकतांत्रिक मर्यादा का उल्लंघन बताया।
क्या ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई होनी चाहिए?
हां, आनंद दुबे ने कहा कि दोषी के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
जीएसटी में क्या बदलाव हुए हैं?
सरकार ने 12 प्रतिशत और 28 प्रतिशत के स्लैब को हटाकर केवल 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत की दरें बनाए रखी हैं।