क्या सीएम प्रेम सिंह तमांग न्यायपालिका के फैसले का अपमान कर रहे हैं?

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क्या सीएम प्रेम सिंह तमांग न्यायपालिका के फैसले का अपमान कर रहे हैं?

सारांश

गंगटोक में एसडीएफ ने मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग पर न्यायपालिका का अपमान करने का आरोप लगाया है। जानिए इस विवाद के पीछे की कहानी और क्या कहता है विपक्ष।

Key Takeaways

  • प्रेम सिंह तमांग की दोषसिद्धि एक कानूनी प्रक्रिया के तहत हुई है।
  • मुख्यमंत्री द्वारा न्यायालय के फैसले को चुनौती देना संविधान का दुरुपयोग है।
  • राजनीतिक विवादों में न्यायपालिका का अपमान लोकतंत्र को कमजोर कर सकता है।
  • महिलाओं के सशक्तीकरण की योजनाओं में सरकार की विफलता पर सवाल उठाए गए हैं।
  • सरकारी धन का उपयोग राजनीतिक कार्यक्रमों के लिए करने का आरोप लगाया गया है।

गंगटोक, 11 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) ने मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग को स्पष्ट चुनौती दी है कि यदि वे वास्तव में मानते हैं कि उन्हें 2017-18 में गलत तरीके से जेल में डाला गया था, तो उन्हें न्यायपालिका को ज़िम्मेदार ठहराना चाहिए।

प्रेम सिंह तमांग को गाय वितरण से जुड़े एक मामले में दोषी ठहराया गया था। वह 1990 के दशक के अंत में एसडीएफ सरकार में पशुपालन विभाग के मंत्री रहे हैं। उन्हें 2017 में दोषी ठहराया गया था और तब से वे यह दावा कर रहे हैं कि यह एक राजनीतिक साजिश थी, क्योंकि वे उस समय एसडीएफ सरकार का विरोध कर रहे थे।

सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में एसडीएफ प्रवक्ता कृष्णा खरेल ने कहा कि प्रेम सिंह तमांग की दोषसिद्धि और कारावास पूरी तरह से उचित कानूनी प्रक्रिया के तहत हुई है। यदि मुख्यमंत्री को लगता है कि यह फैसला किसी साजिश से प्रभावित था, तो उन्हें अदालत में वापस आना चाहिए, अपना पक्ष रखना चाहिए और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करनी चाहिए। अन्यथा, ऐसे फैसलों पर सवाल उठाना न्यायपालिका का अपमान है।

उन्होंने यह भी कहा कि एक मौजूदा मुख्यमंत्री द्वारा न्यायिक फैसलों को सार्वजनिक रूप से चुनौती देना संवैधानिक अधिकारों का दुरुपयोग है। यदि न्यायपालिका इस पर संज्ञान लेती है, तो ऐसे कार्यों को दंडित किया जा सकता है।

खरेल ने प्रेम सिंह तमांग के नेतृत्व वाली सरकार को महिलाओं को वास्तविक सशक्तीकरण योजना प्रदान करने में विफल रहने के लिए भी आलोचना की।

एसडीएफ प्रवक्ता ने 10 अगस्त, 2018 को जेल से रिहा होने की तारीख को 'जन मुक्ति दिवस' के रूप में मनाने को सरकारी धन से संचालित एक कार्यक्रम बताते हुए निशाना साधा।

उन्होंने यह भी कहा कि सार्वजनिक संसाधनों का उपयोग मूलतः एक राजनीतिक कार्यक्रम के लिए किया गया।

खरेल ने आरोप लगाया कि सरकार ने 32,000 लाभार्थियों को 4 करोड़ रुपए के लाभ वितरित करने के लिए 6 करोड़ रुपए खर्च किए। सरकार एक इवेंट मैनेजमेंट कंपनी की तरह कार्य कर रही है, जिसमें मुख्यमंत्री इवेंट मैनेजर की भूमिका निभा रहे हैं।

उन्होंने एसडीएफ समर्थकों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं का भी उल्लेख करते हुए सत्तारूढ़ दल पर सार्वजनिक धन का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया।

Point of View

यह आवश्यक है कि हम संविधान और न्यायपालिका के प्रति सम्मान बनाए रखें। राजनीतिक विवादों में न्यायिक फैसलों का अपमान करना लोकतंत्र के लिए हानिकारक हो सकता है। हमें इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।
NationPress
26/09/2025

Frequently Asked Questions

क्या प्रेम सिंह तमांग पर लगे आरोप सही हैं?
आरोपों की सच्चाई न्यायालय के फैसले पर निर्भर करती है, और यह महत्वपूर्ण है कि सभी पक्ष अपनी बात रखें।
एसडीएफ का क्या कहना है?
एसडीएफ का कहना है कि मुख्यमंत्री को न्यायपालिका के फैसले का अपमान नहीं करना चाहिए और उन्हें अदालत में अपना पक्ष रखना चाहिए।