क्या राहुल गांधी के खुलासे इतिहास में दर्ज होंगे?

सारांश
Key Takeaways
- राहुल गांधी के खुलासे की ऐतिहासिक प्रासंगिकता।
- किसान आंदोलनों की भूमिका।
- सरकार की धमकियों की जांच।
- भाजपा की प्रतिक्रिया की गंभीरता।
- प्रज्वल रेवन्ना के मामले का न्यायालयीन महत्व।
नई दिल्ली, 2 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली पर की गई टिप्पणी ने सियासी बयानबाजियों का नया दौर शुरू कर दिया है।
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने इस मामले पर राष्ट्र प्रेस से चर्चा करते हुए कहा कि यह सिर्फ एक नेता की बात नहीं है। जेटली केवल एक संदेशवाहक थे। सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि संदेश क्या था और इसे किसने भेजा। संदेश भेजने वाले पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह थे, और यह संदेश धमकी भरा था। किसान आंदोलन के दौरान ऐसी घटनाओं के कई मौके आए। मेरा मानना है कि राहुल गांधी के खुलासे भविष्य में इतिहास में प्रमुखता से दर्ज होंगे।
उन्होंने आगे कहा कि मौजूदा सरकार के जिम्मेदार लोग अपने कार्रवाइयों से बच नहीं सकते। इतिहास उन्हें इसलिए याद रखेगा क्योंकि उन्होंने लोगों को धमकियां देने का काम किया। किसानों से जुड़े तीन कानूनों का हम विरोध करते रहेंगे और किसानों के हक के लिए हमारी लड़ाई जारी रहेगी।
राहुल गांधी की इस टिप्पणी पर भाजपा की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया आई है। भाजपा के वरिष्ठ नेता अनुराग ठाकुर और रविशंकर प्रसाद ने राहुल गांधी के बयान को अपरिपक्व और भ्रामक बताया है।
वहीं, कांग्रेस नेता अलका लांबा ने भी एक अन्य मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी है। यह मामला जनता दल सेक्युलर के पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना से जुड़ा है, जिन्हें बेंगलुरु की एक विशेष अदालत ने अपनी घरेलू सहायिका के साथ रेप के आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। अदालत के इस फैसले का स्वागत करते हुए अलका लांबा ने कहा कि वह एक रेपिस्ट थे। कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने न्याय दिलाने का भरोसा दिया था और आज पीड़िता को न्याय मिला है। प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ अभी कई मामले चल रहे हैं। ऐसे व्यक्ति को बचाने की कोशिश की गई लेकिन अदालत ने न्याय दिया है।