क्या राहुल गांधी के 'वोटों की चोरी' के आरोप सही हैं? यह भाजपा की रणनीति है: कांग्रेस नेता गुरुनादम

सारांश
Key Takeaways
- लोकतंत्र के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव आवश्यक हैं।
- मतदाता सूचियों में हेरफेर का आरोप गंभीर है।
- चुनाव आयोग को स्वतंत्र रहना चाहिए।
- भाजपा पर फर्जी वोटों के इस्तेमाल का आरोप है।
- इस विवाद का असर आगामी चुनावों पर पड़ सकता है।
विजयवाड़ा, 8 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस पार्टी के प्रमुख नेता गुरुनादम ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने देश को बताया है कि कैसे केंद्र सरकार और चुनाव आयोग मिलकर वोटों की चोरी की साजिश कर रहे हैं।
गुरुनादम ने इसे लोकतंत्र के लिए एक बड़ा खतरा बताते हुए कहा कि यह सब चुनाव आयोग का "खेल और ड्रामा" है, जिसके पीछे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की योजना काम कर रही है।
गुरुनादम ने आरोप लगाया कि पिछले दस वर्षों से भाजपा सरकार मतदाता सूचियों में हेरफेर कर रही है। कई मतदाताओं को एक राज्य से दूसरे राज्य में स्थानांतरित किया गया, उनके नामों में परिवर्तन किया गया, और फर्जी मतदाता को मतदाता सूची में शामिल किया गया। इसके चलते विभिन्न राज्यों में मतदाता सूचियों में असामान्य वृद्धि देखी गई। कांग्रेस पार्टी के शोध समूह ने पाया कि चुनाव आयोग उन फर्जी मतदाताओं का समर्थन कर रहा है, जो भाजपा के पक्ष में हैं। हाल ही में, मतदाता सूची से 52 लाख वोट हटाने की बात कही गई थी, लेकिन वास्तव में 62 लाख लोग हटा दिए गए।
गुरुनादम ने कहा कि यह भारत के लोकतंत्र के लिए एक गंभीर खतरा है। लोकतंत्र तभी जीवित रह सकता है जब स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव हों। जब ऐसा नहीं होता, तो इसे लोकतांत्रिक सरकार नहीं, बल्कि तानाशाही कहा जाएगा। मतदान का तरीका स्वतंत्र और अपनी इच्छा पर आधारित होना चाहिए।
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा का एकमात्र सिद्धांत सत्ता हासिल करना है, चाहे इसके लिए वोटों और सीटों की खरीद-फरोख्त करनी पड़े। भाजपा फर्जी वोटों के जरिए सत्ता में आ रही है, जो लोकतंत्र के लिए खतरा है। लोगों को यह जानना चाहिए कि भाजपा फर्जी वोटों के माध्यम से कैसे सत्ता में आ रही है। यह सब एक फर्जी सरकार और फर्जी वोटों के अलावा कुछ नहीं है। कांग्रेस पार्टी भाजपा और चुनाव आयोग के इस रवैये की कड़ी निंदा करती है।
गुरुनादम ने कहा कि चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है, जो भारत सरकार या किसी राजनीतिक दल के अधीन नहीं होनी चाहिए, लेकिन यह भाजपा के आगे नतमस्तक है। चुनाव आयोग को स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित कराना चाहिए।