क्या राष्ट्रहित और जनहित में निर्णय लेना हमारी संस्कृति है?: सीएम योगी

सारांश
Key Takeaways
- संस्कृति का अर्थ है जनता और देश के हित में निर्णय लेना।
- डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान ने 19 वर्षों में अद्भुत प्रगति की है।
- प्रदेश में चिकित्सा और चिकित्सा शिक्षा में सुधार जारी है।
- काल की गति को पहचानना आवश्यक है।
- वर्चुअल आईसीयू का उपयोग महामारी के दौरान महत्वपूर्ण रहा है।
लखनऊ, 13 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जीवन में तीन अवस्थाएँ होती हैं: प्रवृत्ति, विकृति, और संस्कृति। प्रवृत्ति तब होती है जब स्थिति सामान्य रहती है। इंसान बदलाव की इच्छा तो रखता है, लेकिन खुद को इसके लिए तैयार करने में संकोच करता है। यदि कोई व्यक्ति या संस्था निरंतर गिरावट की ओर बढ़ती है, तो यह विकृति है। वहीं, यदि कोई व्यक्ति ऐसा निर्णय लेता है जो जनता और देश के हित में हो, तो यह संस्कृति है। इस संस्कृति का एक उत्कृष्ट उदाहरण डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान है। संस्थान ने मात्र 19 वर्षों में 20 बेड से बढ़कर 1,375 बेड का विस्तार किया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि देश और व्यक्ति की गति काल की गति है। हमें काल की गति से दो कदम आगे रहने के लिए तत्पर रहना चाहिए। जो व्यक्ति, समाज या देश काल की गति को पहचान नहीं पाता है, वह काल की चपेट में आ जाता है।
सीएम ने कहा कि हमें काल की गति के मामले में आगे बढ़ने की आवश्यकता है। यदि हम इस गति से नहीं चलेंगे, तो हमें यथास्थितिवादी के रूप में देखा जाएगा। उन्होंने कहा कि लोहिया संस्थान ने काल की गति के मामले में उत्कृष्ट प्रगति की है। इस कारण यह संस्थान पांच वर्षों में प्रदेश के शीर्ष तीन चिकित्सा संस्थानों में शामिल हो गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि लोहिया संस्थान पूर्वी उत्तर प्रदेश का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। प्रदेश में चिकित्सा और चिकित्सा शिक्षा में सुधारों की दिशा में तीन प्रमुख संस्थानों ने सराहनीय योगदान दिया है।
सीएम योगी ने आगे कहा कि एसजीपीजीआई, केजीएमयू और आरएमएल अस्पतालों ने प्रदेश के 75 जनपदों में वर्चुअल आईसीयू के माध्यम से मरीजों को बेहतर राहत देने के लिए प्रशिक्षित मैनपावर भेजा।