क्या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का सौ साल का काल देशसेवा और मानवसेवा को समर्पित है? : श्रीराज नायर

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क्या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का सौ साल का काल देशसेवा और मानवसेवा को समर्पित है? : श्रीराज नायर

सारांश

क्या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का सौ साल का काल सच में देशसेवा और मानवसेवा के लिए समर्पित है? श्रीराज नायर ने इस पर अपनी राय रखी है। जानिए उन्होंने तुष्टिकरण की राजनीति और कांग्रेस के नेतृत्व पर क्या कहा।

Key Takeaways

  • आरएसएस ने शताब्दी वर्ष में देशसेवा का संकल्प लिया है।
  • स्वयंसेवक हमेशा संकट के समय में आगे आते हैं।
  • आतंकवाद पर कांग्रेस की नीतियों की आलोचना की गई।
  • तुष्टिकरण की राजनीति देश की प्रगति में बाधा डालती है।
  • राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

नई दिल्ली, २ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीराज नायर ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के शताब्दी वर्ष पर संगठन की देशसेवा और मानवसेवा की प्रशंसा की।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का सौ वर्ष का समय देशसेवा, राष्ट्रसेवा और मानवसेवा के लिए समर्पित रहा है। चाहे आपदा हो या संकट, स्वयंसेवकों ने हमेशा समाज की सेवा की है। संघ से जुड़े कई सदस्य महत्वपूर्ण पदों तक पहुंचे हैं, जिनमें देश के प्रधानमंत्री मोदी भी शामिल हैं। संघ ने राष्ट्र निर्माण के लिए अद्वितीय कार्य किए हैं और यदि संघ के योगदान को पाठशालाओं के पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया जाता है, तो यह एक सराहनीय कदम होगा। इसका विरोध करने वाले केवल तुष्टिकरण की राजनीति कर रहे हैं।

श्रीराज नायर ने साल 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के संदर्भ में तत्कालीन यूपीए सरकार की नीतियों पर तीखा हमला किया।

उन्होंने कहा कि 2008 के मुंबई आतंकी हमले ने यह साबित किया कि आतंकवादियों ने निर्दोष नागरिकों, सीएसटी स्टेशन, ताज होटल को निशाना बनाकर भारी तबाही मचाई और कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारी शहीद हुए। इतने बड़े हमले के बाद भी कांग्रेस ने कड़ी कार्रवाई करने के बजाय अंतरराष्ट्रीय दबाव में झुककर आतंकवाद को बढ़ावा दिया। यह स्वयं कांग्रेस नेताओं और चिदंबरम के बयानों से स्पष्ट होता है। पाकिस्तान में बैठे आतंकियों को संरक्षण मिलता रहा और यह देश की जनता के लिए एक गंभीर चिंतन का विषय है।

श्रीराज नायर ने कांग्रेस नेता उदित राज के बयानों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि उदित राज के बयान हास्यास्पद हैं और उन्हें कोई गंभीरता से नहीं लेता। अब वे केवल छींटाकशी करते हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ देश की सेवा, उन्नति और प्रगति के लिए समर्पित है और इसे महात्मा गांधी, बाबा साहेब अंबेडकर और जवाहरलाल नेहरू ने भी मान्यता दी। गणतंत्र दिवस समारोहों में भी संघ शामिल रहा है। ऐसे में हमें आरएसएस के लिए उदित राज का प्रमाण पत्र नहीं चाहिए।

श्रीराज नायर ने कहा कि उदित राज के ऐसे बयान चौंकाने वाले नहीं हैं, क्योंकि वे वर्षों से तुष्टिकरण और विभाजनकारी राजनीति करते रहे हैं। इस तरह की राजनीति ने कट्टरपंथी मानसिकता को बढ़ावा दिया और युवाओं को भटकाया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विहिप सेवा और राष्ट्र निर्माण के लिए विश्वभर में जाने जाते हैं, जबकि कुछ नेता केवल राजनीतिक लाभ के लिए आलोचना करते हैं। देश को ऐसे नेताओं की जरूरत है, जो तुष्टिकरण से ऊपर उठकर सच्ची प्रगति के लिए काम करें, न कि समाज में तनाव फैलाएं।

Point of View

यह स्पष्ट है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का योगदान राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण है। उनके कार्यों की सराहना की जानी चाहिए, लेकिन साथ ही राजनीतिक आलोचना का भी ध्यान रखना चाहिए। हमें एक सकारात्मक दृष्टिकोण से आगे बढ़ने की आवश्यकता है।
NationPress
02/10/2025

Frequently Asked Questions

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मुख्य उद्देश्य क्या है?
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मुख्य उद्देश्य देश की सेवा और समाज के उत्थान के लिए कार्य करना है।
आरएसएस की स्थापना कब हुई थी?
आरएसएस की स्थापना 1925 में हुई थी।
क्या संघ ने आतंकवाद पर कोई प्रभाव डाला है?
संघ ने आतंकवाद के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने और समाज को सशक्त बनाने का कार्य किया है।