क्या रोजगार सृजन में वृद्धि मोदी सरकार की प्राथमिकता है: गौरव वल्लभ?

सारांश
Key Takeaways
- प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना का उद्देश्य 3.50 करोड़ लोगों को रोजगार प्रदान करना है।
- केंद्र सरकार ने रोजगार सृजन के लिए 99,500 करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया है।
- कर्नाटक में कांग्रेस सरकार पर भ्रष्टाचार और गुटबाजी के आरोप।
- गौरव वल्लभ ने इंडी गठबंधन की विफलताओं पर सवाल उठाए।
- योजना का लक्ष्य बेरोजगारी दर को 1 प्रतिशत तक लाना है।
नई दिल्ली, 1 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता गौरव वल्लभ ने राष्ट्र प्रेस के साथ एक विशेष बातचीत में भारत सरकार की प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना और बिहार में इंडी गठबंधन की विफलताओं पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने 99,500 करोड़ रुपए के बजट के साथ रोजगार सृजन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किया है। इस योजना के अंतर्गत 3.50 करोड़ लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य रखा गया है, जो खासकर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) तथा विनिर्माण क्षेत्र (मैन्युफैक्चरिंग) को प्रोत्साहित करेगा। योजना के तहत उन कंपनियों को सब्सिडी मिलेगी, जो नए रोजगार सृजन में योगदान देंगी। विशेष रूप से, वे एमएसएमई और विनिर्माण इकाइयाँ जो नए उद्योग स्थापित करना चाहती हैं लेकिन आर्थिक कारणों से ऐसा नहीं कर पातीं, को प्रोत्साहित किया जाएगा। यह योजना न केवल रोजगार के अवसर बढ़ाएगी, बल्कि देश की जीडीपी में भी वृद्धि करेगी।
उन्होंने दावा किया कि वर्तमान में लगभग 3 प्रतिशत की बेरोजगारी दर को इस योजना के प्रभाव से अगले कुछ वर्षों में 1 प्रतिशत तक लाया जाएगा। यह भारत सरकार की उस प्रतिबद्धता का प्रतीक है कि हर हाथ को उचित रोजगार मिले। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की वैश्विक स्थिति भी मजबूत हुई है।
गौरव वल्लभ ने कर्नाटक में कांग्रेस सरकार पर भ्रष्टाचार, गुटबाजी और असंवेदनशीलता का आरोप लगाते हुए तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि कर्नाटक, जो पहले देश का आईटी हब था, आज कांग्रेस के कुशासन के कारण भ्रष्टाचार का पर्याय बन गया है। उन्होंने इसे भ्रष्टाचार की शिरोमणि सरकार, गुटबाजी की शिरोमणि सरकार और असंवेदनशीलता का इम्तिहान पास करने वाली सरकार करार दिया।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने स्वीकार किया कि उनके पास कोई वास्तविक सत्ता नहीं है और वह केवल एक मुखौटा हैं, जबकि निर्णय गांधी परिवार द्वारा लिए जाते हैं। यह सच्चाई है कि कांग्रेस अध्यक्ष के ऊपर भी एक उच्च कमान है।
उन्होंने कर्नाटक में सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच चल रही गुटबाजी का उदाहरण देते हुए कहा कि दोनों नेता एक-दूसरे को हटाने की मांग कर रहे हैं, जबकि जनता दोनों को और कांग्रेस सरकार को हटाने की बात कह रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि गठबंधन ने बिहार विधानसभा चुनाव से पहले ही अपनी हार स्वीकार कर ली है।
गौरव वल्लभ ने सवाल उठाया कि इंडिया गठबंधन बिहार के लोगों के हक का पैसा अवैध प्रवासियों पर क्यों खर्च करना चाहता है। उन्होंने कहा, “चुनाव आयोग एक स्वतंत्र संस्था है, और हमें उससे कोई आपत्ति नहीं है। गठबंधन के दल अपनी शिकायतें वहां ले जा सकते हैं, लेकिन बिहार के लोग जवाब चाहते हैं कि उनके अधिकारों को क्यों छीना जा रहा है।”