क्या हमारे लिए संविधान और लोकतंत्र सर्वोपरि हैं? राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का संबोधन

सारांश
Key Takeaways
- संविधान और लोकतंत्र हमारे लिए सर्वोपरि हैं।
- स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को कभी नहीं भूलना चाहिए।
- विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस हमें इतिहास से सीखने का अवसर देता है।
- भारत प्राचीनतम गणराज्यों की भूमि है।
- हमारा लोकतंत्र हमारी पहचान है।
नई दिल्ली, 14 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर गुरुवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डाला।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर, मैं आप सभी को दिल से शुभकामनाएं देती हूं। यह हमारे लिए गर्व का विषय है कि हम स्वाधीनता दिवस और गणतंत्र दिवस को एक साथ उल्लास से मनाते हैं। ये दिन हमारे भारतीय होने के गर्व का प्रतीक हैं। हमारे लिए, हमारा संविधान और लोकतंत्र सर्वोपरि हैं।
उन्होंने आगे कहा कि 15 अगस्त की तारीख हमारी सामूहिक स्मृति में गहराई से बसी हुई है। औपनिवेशिक शासन के दौरान, देशवासियों की पीढ़ियों ने एक साथ सपना देखा कि एक दिन देश स्वतंत्र होगा। देश का हर नागरिक विदेशी शासन की बेड़ियों से मुक्ति पाना चाहता था, और उस समय आशा का एक बल था। यही आशा स्वतंत्रता के बाद हमारी प्रगति का आधार बनी है। कल, जब हम अपने तिरंगे को सलामी देंगे, हम उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देंगे, जिनके बलिदान से 78 वर्ष15 अगस्त
उन्होंने कहा कि भारत की भूमि प्राचीनतम गणराज्यों की धरती रही है। इसे लोकतंत्र की जननी कहना पूरी तरह से उचित है। हमारे द्वारा अपनाए गए संविधान की नींव पर, हमारे लोकतंत्र का भवन खड़ा हुआ है। हमने लोकतंत्र पर आधारित संस्थाओं का निर्माण किया है, जिन्होंने लोकतांत्रिक कार्यशैली को मजबूती प्रदान की है। हमारे लिए, हमारा संविधान और लोकतंत्र सर्वोपरि हैं।
राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि आज हमने विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाया। विभाजन के कारण भयानक हिंसा का सामना करना पड़ा और लाखों लोग विस्थापित हुए। आज हम उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, जो इतिहास की त्रासदी का शिकार हुए।