क्या सरकार विपक्ष को सम्मान नहीं देती है? : मृत्युंजय तिवारी

सारांश
Key Takeaways
- विपक्ष का सम्मान लोकतंत्र के लिए आवश्यक है।
- राजनीति में भावनाओं का दोहन अनुचित है।
- खेल भावना को राजनीतिक विवादों से दूर रखना चाहिए।
- सरकार को विपक्ष के प्रति सम्मान दिखाना चाहिए।
- एक स्वस्थ संवाद लोकतंत्र को मजबूत बनाता है।
पटना, 12 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी द्वारा देश के 15वें उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं होने से राजनीति में हलचल मच गई है। राजद ने राहुल गांधी के इस कदम पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि विपक्ष को सरकार द्वारा उचित सम्मान नहीं मिलता।
राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में स्पष्ट किया, "राहुल गांधी का उपराष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में गैरहाजिर रहना एक सवाल है, जिसका उत्तर कांग्रेस ही दे सकती है। मेरा कहना है कि सत्ता पक्ष द्वारा विपक्ष का सम्मान नहीं किया जाता, और इसे केवल मजाक में लिया जाता है। विपक्ष भी सरकार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन वर्तमान सरकार की मंशा विपक्ष को कमजोर करने की है।"
बिहार कांग्रेस के एआई वीडियो पर तिवारी ने कहा, "प्रधानमंत्री की 'मां' हो या अन्य किसी की, सभी का सम्मान होना चाहिए। हमारे देश को 'भारत मां' का दर्जा दिया गया है, और यहां 'मां' का सम्मान जरूरी है। अगर कोई अपशब्द कहता है, तो उस पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।"
राजद प्रवक्ता ने बिहार बंद से संबंधित सवाल उठाए। उन्होंने कहा, "'मां' के मुद्दे पर बिहार में बंद कराया गया था, लेकिन बिहार की माताओं और बहनों ने इसे नकार दिया। कितनी माताओं और बहनों का अपमान हुआ, इसका जवाब सरकार को देना चाहिए। कांग्रेस ने सच्चाई दिखाई है, लेकिन सियासत में 'मां' को लाना ठीक नहीं। भावनाओं का उपयोग कर वोट लेना अनुचित है; 'मां' के नाम पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।"
तिवारी ने भारत और पाकिस्तान के बीच एशिया कप के मैच पर भी अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने कहा, "हमारे देश के नागरिकों की जान आतंकवादियों ने ली है। सवाल यह है कि आतंकवाद को किसने पनाह दी है? आतंकवादी घटनाओं के पीछे का स्रोत सरकार को बताना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा है कि 'एक साथ खून और पानी नहीं बहेगा', लेकिन खेल भावना का सम्मान होना चाहिए, क्योंकि खेल एक सशक्त माध्यम है, जो साम्प्रदायिक सौहार्द और भाईचारे को बढ़ावा देता है। अगर राजनीति खेल में प्रवेश कर जाए, तो उसका असर खेल पर नकारात्मक पड़ता है।"