क्या सुप्रीम कोर्ट का आदेश आवारा कुत्तों के लिए उचित है?

सारांश
Key Takeaways
- सुप्रीम कोर्ट का आदेश आवारा कुत्तों के लिए है।
- एनिमल केयर सोसायटी ने विरोध जताया है।
- कुत्तों के शिफ्टिंग से लड़ाई का खतरा है।
- प्रकृति के साथ खिलवाड़ न करने की अपील।
- सभी जीवों का रहने का हक है।
होशियारपुर, 12 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को पकड़कर शेल्टर होम में भेजने के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का अब विरोध शुरू हो गया है। पंजाब के होशियारपुर में एनिमल केयर सोसायटी से जुड़े व्यक्तियों ने इस फैसले पर अपनी नाखुशी व्यक्त की। उनका कहना है कि यदि इतनी बड़ी संख्या में कुत्तों को शिफ्ट किया गया तो वे आपस में लड़कर मर भी सकते हैं।
एनिमल केयर सोसायटी के अध्यक्ष चांद कौशल ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों को शेल्टर होम में भेजने का आदेश दिया है। मेरा मानना है कि यह फैसला प्रकृति के साथ खिलवाड़ है। यदि कुत्तों को शिफ्ट किया गया, तो वे आपस में लड़कर गंभीर चोटों का शिकार हो सकते हैं। मैं अपील करूंगा कि प्रकृति के साथ खिलवाड़ न किया जाए, क्योंकि सभी जीवों को रहने का अधिकार है।"
उन्होंने कहा, "सनातन धर्म में भी पशु सेवा को महत्व दिया गया है। मेरा कोर्ट से निवेदन है कि उनकी नसबंदी कर उन्हें किसी एक स्थान पर छोड़ दिया जाए और शेल्टर होम में न भेजा जाए।"
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली-एनसीआर में कुत्तों को पकड़कर शेल्टर होम में भेजने का आदेश दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि इस प्रक्रिया में यदि किसी संगठन या व्यक्ति ने बाधा डाली, तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
इससे पहले, वकील अभिषेक शर्मा ने रजिस्ट्रार को पत्र लिखकर सर्वोच्च न्यायालय के परिसर में आवारा कुत्तों की उपस्थिति के संबंध में चिंता जताई थी।
वकील अभिषेक शर्मा ने रजिस्ट्रार को लिखे पत्र में कहा, "यह अत्यंत चिंताजनक है कि सर्वोच्च न्यायालय के हालिया आधिकारिक निर्देश में आवारा कुत्तों को शेल्टर होम में भेजने का आदेश दिया गया है। इसके बावजूद आवारा कुत्ते कोर्ट परिसर में खुलेआम घूमते रहते हैं। हाल ही में उन्होंने कोर्ट परिसर में आवारा कुत्तों का झुंड देखा, जिनकी तस्वीरें भी खींची गईं।"
वकील अभिषेक शर्मा ने मांग की है कि कोर्ट परिसर से सभी आवारा कुत्तों को तुरंत आश्रय स्थलों में भेजा जाए।