क्या विपक्ष देश की भलाई के लिए एकजुट रहेगा? कांग्रेस सांसद रेड्डी

सारांश
Key Takeaways
- विपक्ष की एकता की आवश्यकता पर जोर
- महत्वपूर्ण मुद्दों पर सत्ताधारी और विपक्ष को एकजुट होना चाहिए
- नेपाल में हो रहे प्रदर्शनों का महत्व
- जनता की आवाज को दबाना संभव नहीं
- युवाओं की क्रांति का उदय
नई दिल्ली, 10 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस सांसद चमाला किरण कुमार रेड्डी ने पीएम मोदी के उस पोस्ट पर अपनी प्रतिक्रिया दी है, जिसमें उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पोस्ट का जिक्र करते हुए इसे भारत और अमेरिका के लिए स्वाभाविक साझेदारी बताया है। कांग्रेस सांसद ने स्पष्ट किया कि देश की भलाई के लिए पूरा विपक्ष एकजुट रहेगा।
राष्ट्र प्रेस से बातचीत में उन्होंने कहा कि यह एक अच्छी बात है कि दोनों देशों के बीच संवाद हो रहा है। उन्होंने कहा कि जब जवानों, आम आदमी, अर्थव्यवस्था, रोजगार और मुद्रा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों की बात होती है, तो विपक्ष और सत्ताधारी दोनों को एकजुट होना चाहिए। देश की भलाई के लिए पूरा विपक्ष एक साथ है।
उन्होंने कहा कि हम उस दिशा में हैं जिससे भारत और यहां के लोगों की बेहतरी हो सके।
उपराष्ट्रपति चुनाव के दौरान क्रॉस-वोटिंग के सवाल पर उन्होंने कहा कि 15 वोट अमान्य हुए। यह किसके हुए? 315 में से 15 वोट इनवैलिड हुए और हमें 300 वोट मिले। इसमें क्रॉस-वोटिंग का सवाल कहां है?
केंद्रीय मंत्री किरन रिजिजू के क्रॉस-वोटिंग के सवाल पर पलटवार करते हुए उन्होंने कहा कि क्या उन्होंने खुद जाकर देखा है? किरेन रिजिजू को यह कैसे पता कि इंडिया गठबंधन ने क्रॉस वोटिंग की है? उनके पास यह बात करने का क्या आधार है? हम चुनाव प्रक्रिया का स्वागत करते हैं और नए उपराष्ट्रपति को शुभकामनाएं देते हैं।
उन्होंने एसआईआर का मुद्दा उठाते हुए कहा कि हम वोट के अधिकार की लड़ाई लड़ रहे हैं, हमारे नेता राहुल गांधी वोट अधिकार यात्रा निकाल रहे हैं। हमारी कोशिश है कि संविधान में जो अधिकार लोगों को मिला है, वह बरकरार रहे। उन्होंने कहा कि उपराष्ट्रपति के चुनाव में 300 वोट मिलना इंडिया ब्लॉक की मजबूती का एक जीता-जागता प्रमाण है।
नेपाल की मौजूदा स्थिति को देखते हुए उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में जनता की आवाज को दबाना संभव नहीं है, खासकर जब सोशल मीडिया और मीडिया जैसे माध्यम उपलब्ध हों। बांग्लादेश के बाद नेपाल में जेन-जी के नेतृत्व वाले प्रदर्शन भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद, और सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ जनाक्रोश को जन्म दे चुके हैं, जो अब हिंसक रूप ले चुका है।
उन्होंने कहा कि ये प्रदर्शन किसी राजनीतिक दल के नेतृत्व में नहीं, बल्कि युवाओं की खुद की क्रांति के रूप में उभरे हैं। भारत को नेपाल की मौजूदा स्थिति का उचित आकलन करना चाहिए।