क्या विपक्ष एसआईआर के उद्देश्य को समझने में असफल है? - शांभवी चौधरी
सारांश
Key Takeaways
- एसआईआर का उद्देश्य लोकतंत्र को मजबूत करना है।
- विपक्ष के आरोपों का जवाब देना आवश्यक है।
- एसआईआर नागरिक अधिकारों को सुरक्षित करता है।
- राजनीतिक बहस में जनता की राय महत्वपूर्ण है।
- देश की सुरक्षा के लिए एसआईआर की आवश्यकता है।
समस्तीपुर, 27 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर चल रही राजनीतिक बहस में लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) की सांसद शांभवी चौधरी ने विपक्ष पर तीखा प्रहार किया है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि विपक्ष केवल मुद्दा उठाकर जनता को भ्रमित करने का प्रयास कर रहा है, क्योंकि उनकी राजनीतिक रणनीतियाँ लगातार असफल हो रही हैं।
सांसद शांभवी ने कहा, "वे विपक्ष में हैं, इसलिए कुछ न कुछ बोलते ही रहेंगे। उन्हें एसआईआर का वास्तविक उद्देश्य समझ में नहीं आ रहा है। एसआईआर लागू किया जा रहा है ताकि लोकतंत्र के सबसे बड़े अधिकार (मतदान के अधिकार) को और मजबूत किया जा सके।"
उन्होंने यह भी कहा कि देशभर में विपक्ष की स्थिति निरंतर कमजोर हो रही है। उनकी रणनीतियाँ बार-बार विफल हो रही हैं। वे चुनाव में लगातार हार रहे हैं और अब एसआईआर को ढाल बनाकर अपनी राजनीति को बचाने की कोशिश कर रहे हैं।
सांसद शांभवी ने विपक्ष पर जनता में अनावश्यक डर फैलाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, "ये लोग जनता को डराने का काम कर रहे हैं। बिहार में भी एसआईआर को बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश की गई, लेकिन बिहार की जनता ने उन्हें मुंहतोड़ जवाब दे दिया।"
उन्होंने दावा किया कि लोगों ने समझ लिया है कि एसआईआर किसी के अधिकार छीनने के लिए नहीं, बल्कि नागरिक अधिकारों को और मजबूत बनाने के लिए लाया जा रहा है।
शांभवी ने कहा कि एसआईआर देश के नागरिकों की पहचान और अधिकारों को सुरक्षित करने का एक सशक्त माध्यम है। भारत किसी भी प्रकार के घुसपैठियों को अनुमति नहीं देता और एसआईआर इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
उन्होंने कहा कि जब देश की सुरक्षा को प्रभावित करने वाले तत्वों पर सख्त निगरानी आवश्यक है, तब एसआईआर जैसी व्यवस्थाएं और भी महत्वपूर्ण हो जाती हैं।
राज्य और केंद्र दोनों स्तरों पर एसआईआर को लेकर राजनीतिक तापमान लगातार बढ़ रहा है। विपक्ष इसे 'संदिग्ध' बता रहा है, जबकि समर्थक इसे 'बेहतर प्रशासन और सुरक्षित नागरिक अधिकार' की दिशा में बड़ा सुधार मानते हैं।