लागत मुद्रास्फीति सूचकांक क्या है? कैपिटल गेन टैक्स कैलकुलेशन में इसकी भूमिका क्यों है?

सारांश
Key Takeaways
- सीआईआई का उपयोग टैक्स कैलकुलेशन में महत्वपूर्ण है।
- सीआईआई के माध्यम से मुद्रास्फीति के प्रभाव को समझा जा सकता है।
- नए नियमों के अनुसार, सीआईआई का उपयोग संपत्ति की बिक्री पर कैपिटल गेन टैक्स में किया जाता है।
- करदाताओं के लिए सीआईआई के साथ दो विकल्प उपलब्ध हैं।
- सीआईआई का लाभ सभी करदाताओं के लिए नहीं है।
नई दिल्ली, 3 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। हाल ही में सरकार ने लागत मुद्रास्फीति सूचकांक (सीआईआई) को बढ़ाकर वित्त वर्ष 2025-26 और असेसमेंट ईयर 2026-27 के लिए 376 कर दिया है, जो कि इससे पिछले वर्ष 363 पर था। ऐसे में यह जानना आवश्यक है कि लागत मुद्रास्फीति सूचकांक वास्तव में क्या है और कैपिटल गेन टैक्स कैलकुलेशन में इसकी भूमिका क्यों महत्वपूर्ण है।
लागत मुद्रास्फीति सूचकांक एक संख्या होती है, जिसे केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) द्वारा हर वर्ष जारी किया जाता है। यह करदाताओं को दीर्घकालिक कैपिटल गेन टैक्स कैलकुलेशन करने से पूर्व मुद्रास्फीति के अनुसार कुछ संपत्तियों के खरीद मूल्य को समायोजित करने में मदद करता है।
सीआईआई यह सुनिश्चित करता है कि टैक्स केवल आपके वास्तविक मुनाफे पर लगे, न कि मुद्रास्फीति के कारण मूल्य बढ़ने पर हुए मुनाफे पर।
सीआईआई की आवश्यकता किसी भी व्यक्ति को संपत्ति की बिक्री के बाद हुए मुनाफे पर कैपिटल गेन टैक्स कैलकुलेट करने के समय होती है।
उदाहरण के लिए, यदि आपने 2002 में कोई संपत्ति 10,00,000 रुपए में खरीदी और उस समय सीआईआई 100 पर था।
अब, 2025-26 में सीआईआई 376 हो गया है। यदि आपने संपत्ति को 50,00,000 रुपए में बेचा, तो सीआईआई के तहत उस संपत्ति की लागत होगी 10,00,000 रुपए × (376 / 100) = 37,60,000 रुपए।
इस तरह, बिक्री पर आपको 50,00,000 रुपए - 37,60,000 रुपए = 12,40,000 रुपए का कैपिटल गेन होगा, जिस पर आपको टैक्स का भुगतान करना होगा।
यदि आप सीआईआई के बिना कैलकुलेट करते, तो कैपिटल गेन 40,00,000 रुपए होता।
सीआईआई के संबंध में नियमों में परिवर्तन किए गए हैं। सरकार के कर सरलीकरण प्रयासों के तहत, 2024 के वित्त अधिनियम ने कैपिटल गेन टैक्स के लिए नए नियम पेश किए।
अपडेटेड नियमों के अनुसार, सीआईआई के लाभ मुख्य रूप से 23 जुलाई 2024 से पहले बेची गई संपत्तियों के लिए उपलब्ध होंगे।
इस तिथि के बाद की गई बिक्री के लिए, कोई निवासी व्यक्ति और हिंदू अविभाजित परिवार (एयूएफ) अभी भी सीआईआई लाभ का दावा कर सकते हैं, लेकिन यह केवल तभी लागू होगा जब संपत्ति 23 जुलाई 2024 से पहले अर्जित की गई हो।
ऐसे मामलों में करदाताओं को दो विकल्प दिए गए हैं। पहला, वे सीआईआई के बिना नई फ्लैट 12.5 प्रतिशत दर पर कर का भुगतान कर सकते हैं। दूसरा, वे सीआईआई के साथ 20 प्रतिशत दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर का भुगतान करना चुन सकते हैं।
हालांकि, यह विकल्प अनिवासी भारतीयों (एनआरआई), कंपनियों के लिए उपलब्ध नहीं है। उन्हें अब नई फ्लैट-रेट प्रणाली का पालन करना होगा।